Veer Narayan Singh: Jeevan Parichay
Veer Narayan Singh: देश के आजादी के लड़ाई में सैकड़ो स्वतंत्रता सेनानियों ने सालों तक संघर्ष किया और अपना बलिदान दिये उन बलिदान देने वालों में छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक नाम शहीद वीर नारायण सिंह का भी आता है। जिन्होने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए अपना बलिदान दिया शहीद वीर नारायण सिंह (1795-1857) छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी, सच्चे देश भक्त एवं सोनाखान के जमींदार गरीबो के मसीहा थे। आईये जानते है शहीद वीर नारायण सिंह के वीर गाथा के बारे में।
वीर नारायण सिंह का जन्म Birth of Veer Narayan Singh
Veer Narayan Singh: वीर नारायण सिंह का जन्म छत्तीसगढ़ के सोनाखान में 1795 में एक जमींदार परिवार में हुआ था पिता का नाम रामसाय था यह बिंझवार जनजाति के थे और इनके परदादा सोनाखान के दिवान थे। वीर नारायण सिंह के पूर्वज सारंगढ़ के जमींनदार के वंशज थे, और लगभग 300 गावों की जमींदारी इनके पास थी। पिता की मृत्यु के बाद 35 साल की उम्र में ही वीर नारायण सिंह ने अपने पिता से जमींदारी का अधिकार ले लिया था। उनका स्थानीय लोगों से अटूट लगाव था।
वीर नारायण सिंह का कार्य और योगदान।
Veer Narayan Singh: छत्तीसगढ़ में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का बिगुल शहीद वीर नारायण सिंह ने फूंका था उन्होने छापामार युद्ध नीति का प्रयोग कर अंंग्रेजों के नाक में दम करके रख दिया था कई बार अंग्रेेेजी सेना ने उन्हे सोनाखान में पकड़ने और मारने के लिए योजना बनाई लेकिन असफल रहे। उन्होने यहां के गरीब जनता के उत्थान के लिए और आदिवासी समाज के विकास के लिए कार्य करते रहे और देश को आजाद कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
वीर नारायण सिंह ने गोदाम में रखे अनाज को गरीबों में बंटवा दिया था।
Veer Narayan Singh: सन् 1856 में इस क्षेत्र में बारिश नहीं होने कारण भीषण अकाल पड़ गया लोग पीने के पानी तक के लिए तरस गये धान का भंडार कहा जाने वाला यह क्षेत्र सूखे से ग्रसित हो गया लोगो के पास खाने के लए कुछ नहीं था और जो कुछ भी था वो अंग्रेज और उनके गुलाम साहूकार जमाखोरी करके अपने गोदाम में भर कर रखे थे। उन्ही में एक अंग्रजों से सहायता प्राप्त कसडोल के साहूकार माखनलाल अपने गोदामों में अवैध और जोर जबरदस्ती से धन एकत्रित करके रखे हुए थे।
वीर नारायण सिंह हजारो किसानों के साथ मिलकर उस गोदाम में रखे अनाज को लूट लेते है, और भूख से पीड़ित जनता में बांट देते है। इस घटना की शिकायत उस समय डिप्टी इलियट से की गई और अंग्रेजों द्वारा उन्हे 24 अक्टूबर 1856 को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया जाता है। 1857 में जब स्वतंत्रता की लड़ाई तेज हुई तो जेल में बंद लोगो ने वीर नारायण सिंह को ही अपना नेता मान लिया। और अंग्रेजों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों के विरूद्ध बगावत करने की ठान ली।
वीर नारायण सिंह द्वारा सेना का गठन।
Veer Narayan Singh: 28 अगस्त 1857 में ब्रिटिश सेना में कार्यरत कुछ सैनिकों और समर्थकों की मदद से वीर नारायण सिंह जेल से भाग निकले और अपने गांव सोनाखान पहुंच गये वहां पर उन्होने 500 सैनिकों की एक सेना बनाई और अंग्रेजी सैनिकों से मुकाबला किया अंग्रेज जब वीर नारायण सिंह से लड़ नहीं पाये तो बौखलाई अंग्रेजी सरकार ने यहां के जनता पर अत्याचार करना शुरू कर दिया उन्होने स्थानीय लोगों के घर जलाकर तरह तरह के अत्याचार करके लोगो से बदला लेना आरम्भ कर दिया।
लोगो को अंग्रेजों के अत्याचार से बचाने के लिए आत्मसमपर्ण।
Veer Narayan Singh: अंग्रेजों द्वारा जनता के प्रति अत्याचार से आहत होकर वीर नारायण सिंह ने अपने लोगो की जान बचाने के लिए ब्रिटिश सरकार के सामने आत्मसमपर्ण कर दिया। उनके आत्मसमपर्ण का मूल उदेश्य यह था कि उनके कारण गरीब जनता को कोई हानि न पहुंचे उनको कोई अत्याचार सहना न पड़े और जनता की भलाई के लिए उन्होने आत्मसमपर्ण कर दिया।
वीर नारायण सिंह को सार्वजनिक रूप से फांसी दे दी गई।
Veer Narayan Singh: समपर्ण के बाद 10 दिसबंर 1857 को अंग्रेजों द्वारा रायपुर में उन्हे सार्वजनिक रूप से फांसी दे दी गई और मृत्यु के बाद उनके शव को तोप से बांध कर सरे आम उड़ा दिया गया यह स्थान वर्तमान में जय स्तम्भ चौक के नाम से जाना जाता है। सार्वजनिक रूप से हुए इस कुकृत्य से आम लोगों में और ब्रिटिश सेना के भारतीयों में एक प्रतिशोध की भावना भड़क उठी और एक नई क्रांति का आरम्भ हुआ। शहीद वीर नारायण सिंह को इस समर के लिए छत्तीसगढ़ का प्रथम बलिदानी माना जाता है।
वीर नारायण सिंह के नाम पर बनाई गई स्मृतियां एवं सम्मान।
Veer Narayan Singh: शहीद वीर नारायण सिंह की गौरव गाथा आज भी छत्तीसगढ़ के इतिहास में जनमानस के बीच सुनाई देती है। सोनाखान के लोग उन्हे देवता की तरह पूजते है प्रदेशवासियों के साथ साथ पूरे देश में उन्हे एक आदर्श के रूप में माना जाता है। जिसके चलते छत्तीसगढ़ शासन ने प्रतिष्ठित जगहों के नाम उनके नाम पर रखा है एवं उनके स्मृति में पुरस्कार सम्मान प्रदान किया जाता है, जिसकी कुछ झलकियां निम्नानुसार है:-
- Shaheed Veer Narayan Singh International Cricket Stadium- छत्तीसगढ़ में देश के दूसरा सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम का नाम शहीद वीर नारायण सिंह के नाम पर रखा है। रायपुर क्रिकेट संघ ने शहीद वीर नारायण सिंह अंतराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण साल 2008 में करवाया है। यह स्टेडियम कोलकाता के ईडन गार्डन के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा स्टेडियम है। इस स्टेडियम की क्षमता 65,000 है। इस स्टेडियम की देख रेख व संचालन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किया जा जाता है।
Shaheed Veer Narayan Singh International Cricket Stadium Raipur
- शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान- Veer Narayan Singh: स्वतंत्रता सेनानी वीर नारायण सिंह की स्मृति में “शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान” छत्तीसगढ़ आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा आदिवासी और पिछड़े वर्गो के उत्थान के लिए उत्कृष्ठ कार्य करने वाले व्यक्ति को दिया जाता है। स्थापना वर्ष 2001 इस सम्मान के अंतर्गत 2 लाख रूपये नगद राशि और प्रतीक चिन्ह युक्त प्रशस्ति पटिृटका प्रदान की जाती है। प्रथम प्राप्तकर्ता आदिवासी शिक्षण समिति, पाड़ीमार को वर्ष 2001 में प्रदान किया गया था।
- पोस्टल स्टाम्प शहीद वीर नारायण सिंह के नाम पर- Veer Narayan Singh: शहीद वीर नारायण सिंह को सम्मान देने के लिए उनकी 130 वीं बरसी पर 1987 में भारत सरकार ने 60 पैसे का पोस्टल स्टाम्प जारी किया जिसमें वीर नारायण सिंह को तोप के आगे बंधा दिखाया गया।
वीर मेला राजा राव पठार के बारे में भी जाने:-
Veer Mela Rajarao Pathar:- छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृति, त्यौहार और परम्परा के लिए देश भर में जाना जाता है। जिसमें मेला मड़ई का विशेष महत्व है। प्रदेश के सभी जिलों में अलग अलग रूप से मंडई का आयोजन किया जाता है। लेकिन बालोद जिले में हर साल आयोजित होने वाले वीर मेला का एक विशेष महत्व होता है। जहां सर्व आदिवासी समाज के तत्त्वाधान में राजाराव पठार ग्राम करेंझर में वीर मेला या देव मेला का आयोजन किया जाता है।
सर्व आदिवासी समाज द्वारा किया जाता है आयोजन:-Veer Narayan Singh: वीर मेला छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला में धमतरी जगदलपुर नेशनल हाईवे पर धमतरी से 15 किलोमीटर दूर स्थित राजा राव पठार पर छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह की याद में प्रतिवर्ष उनके बलिदान दिवस पर 10 दिसबंर को मनाया जाता है। यह आदिवासी समाज की वेशभूषा संस्कृति को जानने का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां आकर आप उनकी संस्कृति से वाकिफ हो सकते है। इसे आदिवासी समाज का सबसे बड़ा मेला माना जाता है। यहां हर साल आम लोगों के साथ साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल भी पहुंचते हैं। इस मेल में प्रदेश भर के ध्रुव गोड़, बैगा, कमार समाज के आदिवासी शामिल हाेते हैं।
तीन दिनों तक होता है मेला का आयोजन:- Veer Narayan Singh: राजाराव पठार में सर्व आदिवासी समाज के तत्वावधान में प्रतिवर्ष 08, 09 और 10 दिसम्बर को शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत दिवस के अवसर पर विराट वीर मेला का आयोजन किया जाता है जिसमें देव स्थापना, देव मेला, आदिवासी हॉटबाज़ार, रैली, आदिवासी सांस्कृतिक कार्यक्रम, रेला पाटा, आदिवासी महापंचायत तथा शहीद वीर नारायण सिंह की श्रद्वांजली सभा का कार्यक्रम किया जाता है।
Veer Mela Rajarao Pathar वीर मेला राजा राव पठार
FaQs:-
वीर नारायण सिंह का जन्म कब हुआ था? When was Veer Narayan Singh born?
1795 में।
वीर नारायण सिंह का जन्म कहाँ हुआ था? Where was Veer Narayan Singh born?
छत्तीसगढ़ के सोनाखान में।
वीर नारायण सिंह बलिदान दिवस कब मनाया जाता है? When is Veer Narayan Singh Martyrdom Day celebrated?
10 दिसबंर को।
वीर नारायण सिंह कौन से राज्य के थे? Veer Narayan Singh belonged to which state?
छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ।
वीर नारायण सिंह को फांसी की सजा क्यों दी गई है? Why has Veer Narayan Singh been given death sentence?
1857 की क्रांति का समर्थन करने की वजह से ।
वीर नारायण सिंह किसका पुत्र था? Whose son was Veer Narayan Singh?
सोनाखान के जमींदार रामसाय।
वीर नारायण सिंह का पूरा नाम क्या है? What is the full name of Veer Narayan Singh?
वीर नारायण सिंह बिंझवार।
वीर नारायण सिंह कौन से जाति के थे? Which caste did Veer Narayan Singh belong to?
बिंझवार।
सोनाखान क्यों प्रसिद्ध है? Why is Sonakhan famous?
सोनाखान के राजा वीर नारायण सिंह की लोकप्रियता के कारण।
सोनाखान के राजा कौन थे? Who was the king of Sonakhan?
वीर नारायण सिंह।
सोनाखान के जमींदारन कौन थे? Who was the landlord of Sonakhan?
वीर नारायण सिंह।
शहीद वीर नारायण सिंह को फांसी कब दी गई? When was martyr Veer Narayan Singh hanged?
10 दिसंबर 1857 को।
वीर नारायण सिंह अंतराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम कब बना? When was Veer Narayan Singh International Cricket Stadium built?
2008 मे।
वीर नारायण सिंह अंतराष्ट्रीय क्रिकेट की क्षमता कितनी है? Veer Narayan Singh What is the potential of international cricket?
65000।
वीर नारायण सिंह सम्मान किस क्षेत्र में दिया जाता है? Veer Narayan Singh Samman is given in which field?
आदिवासी और पिछड़े वर्गो के उत्थान के लिए।
वीर नारायण सिंह सम्मान की शुरूआत कब हुई? When was Veer Narayan Singh Samman started?
2001 में।
वीर नारायण सिंह सम्मान में क्या प्रदान किया जाता है? What is given in Veer Narayan Singh Samman?
2 लाख रूपये नगद राशि और प्रतीक चिन्ह युक्त प्रशस्ति पटिृटका प्रदान की जाती है।
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