Biography Of Gurunanak: Guru Nanak Jayanti 2024

Biography Of Gurunanak Guru Nanak Jayanti 2024

Biography Of Gurunanak: गुरूनानक का जीवन परिचय

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु थे, जिनका जन्म 15 अप्रैल, सन् 1469 को तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था, जो अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। उनके पिता का नाम कालू मेहता और माता का नाम तृप्ता देवी था। बाल्यकाल से ही गुरु नानक एक असाधारण और संवेदनशील बालक थे। उनका मन बचपन से ही आध्यात्मिकता और भक्ति की ओर लग गया था, और वे अक्सर गहरे ध्यान और चिंतन में डूबे रहते थे। तो आईये जानते है। आज के इस पोस्‍ट Biography Of Gurunanak में उनके जीवन से जुड़ी महत्‍वपूर्ण बातें।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक जी का बाल्यकाल साधारण बच्चों की तरह नहीं था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत, फारसी और अरबी में प्राप्त की। बचपन में ही उन्होंने धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। गुरु नानक बचपन से ही धार्मिक और बुद्धिमान प्रवृत्ति के थे। वे स्कूल में शिक्षकों से गहरे सवाल पूछते थे, जिससे उनके ज्ञान और भक्ति की गहरी समझ का पता चलता था। वे प्रकृति, भगवान और मानवता के बारे में गहरी रुचि रखते थे और जल्द ही समाज की अन्यायपूर्ण प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाने लगे।

जब उनके पिता ने उन्हें व्यापार करने के लिए पैसे दिए, तो नानक ने उन पैसों से गरीबों को भोजन करवा दिया। इसे “सच्चा सौदा” कहा गया, जो उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना थी, जहाँ उन्होंने यह संदेश दिया कि सच्चा सौदा वह है, जिसमें मानवता की सेवा की जाए।

वैवहिक जीवन और परिवार

Biography Of Gurunanak:  गुरु नानक देव जी का विवाह सुलखनी देवी से हुआ था, जो एक साधारण लेकिन धार्मिक परिवार से थीं। उनका विवाह 1487 में बटाला (अब पंजाब, भारत में) में हुआ। उस समय वे 18 वर्ष के थे, सुलखनी देवी के पिता का नाम मूला था, और वे एक धार्मिक और कर्मशील व्यक्ति थे। विवाह के बाद गुरु नानक जी अपनी पत्नी के साथ सुलतानपुर चले गए, जहाँ उन्होंने कुछ समय तक नवाज शाह के यहाँ मोदी (अन्न भंडार के प्रबंधक) के रूप में कार्य किया।

गुरु नानक जी और सुलखनी देवी के दो पुत्र थे:

  1. श्रीचंद: उनका जन्म 1494 में हुआ था। श्रीचंद का जीवन भी आध्यात्मिक रहा, और वे साधना में लीन रहते थे। उन्होंने “उदासी संप्रदाय” की स्थापना की, जो एक आध्यात्मिक पंथ था और इसमें त्याग और साधना पर बल दिया गया। हालांकि वे गुरु परंपरा में नहीं आए, फिर भी उनकी शिक्षाएं और तपस्या का सिख धर्म पर गहरा प्रभाव रहा।
  2. लक्ष्मी दास: उनका जन्म 1497 में हुआ था। वे साधारण जीवन जीते थे और सांसारिक कार्यों में लगे रहे। गुरु नानक जी ने उन्हें भी हमेशा सत्य, ईमानदारी और सेवा का मार्ग अपनाने की प्रेरणा दी।

गुरु नानक का पारिवारिक जीवन और आध्यात्मिकता

Biography Of Gurunanak: हालांकि गुरु नानक जी का पारिवारिक जीवन था, परंतु उनका मन सांसारिक बंधनों में नहीं रमता था। उनका ध्यान हमेशा ईश्वर की भक्ति और समाज की सेवा में लगा रहता था। उन्होंने परिवार में रहते हुए भी पूरी मानवता को अपना परिवार माना और अपने परिवार के लोगों को भी सेवा और भक्ति का महत्व सिखाया। उनकी पत्नी सुलखनी ने हमेशा उनका साथ दिया और उनके जीवन के मिशन में सहयोगी रहीं। गुरु नानक जी का पारिवारिक जीवन साधारण था, लेकिन उनके विचार और कार्य असाधारण थे। उनका परिवार और अनुयायी ही उनके सबसे प्रिय थे, और उनके परिवार ने उनके कार्य और शिक्षाओं में हमेशा योगदान दिया।

गुरूनानक जी की धार्मिक यात्रा (उदासियाँ)

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक देव जी ने अपने जीवनकाल में कई धार्मिक यात्राएँ कीं, जिन्हें “उदासियाँ” कहा जाता है। इन यात्राओं का उद्देश्य समाज को एकता, प्रेम, और भक्ति का संदेश देना था। उन्होंने जाति-प्रथा, धार्मिक अंधविश्वास, और सामाजिक अन्याय का विरोध किया। उनके संदेश ने न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी लाखों लोगों को प्रभावित किया। उन्होंने लगभग 25 वर्षों में चार मुख्य उदासियाँ कीं और इन यात्राओं के दौरान कई प्रमुख स्थानों का दौरा किया।

प्रथम उदासी (1500-1506)

Biography Of Gurunanak: पहली उदासी में गुरु नानक ने उत्तर भारत के प्रमुख स्थानों का दौरा किया। इसमें हरिद्वार, अयोध्या, प्रयाग, कुरुक्षेत्र, मथुरा, वृंदावन, और बनारस जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल शामिल थे। इस यात्रा के दौरान उन्होंने लोगों को यह सिखाया कि सच्ची पूजा आत्मा की शुद्धि और ईश्वर के प्रति प्रेम में है, न कि बाहरी रीति-रिवाजों में। हरिद्वार में उन्होंने एक ऐसी घटना का वर्णन किया, जिसमें लोगों ने देखा कि नानक जी नदी के विपरीत दिशा में जल अर्पित कर रहे हैं। इस पर उन्होंने लोगों को समझाया कि ईश्वर हर दिशा में है और यह प्रतीकात्मक अर्पण व्यर्थ है।

द्वितीय उदासी (1506-1513)

Biography Of Gurunanak: दूसरी उदासी में गुरु नानक देव जी ने दक्षिण भारत का दौरा किया। इस यात्रा में वे कांचीपुरम, रामेश्वरम, त्रिची, और अन्य स्थानों पर गए। दक्षिण भारत में उन्होंने विभिन्न मंदिरों का भ्रमण किया और कई संतों से मिले। यहाँ उन्होंने संतों के साथ विचार-विमर्श किया और उन्हें यह समझाया कि ईश्वर किसी विशेष स्थान पर नहीं, बल्कि हृदय में वास करता है।

तृतीय उदासी (1514-1518)

Biography Of Gurunanak: तीसरी उदासी में गुरु नानक ने पश्चिम की ओर यात्रा की। वे इस यात्रा के दौरान अरब और फारस भी गए। मक्का और मदीना की यात्रा भी इसी उदासी के अंतर्गत की गई थी। मक्का में उनकी प्रसिद्ध घटना हुई, जिसमें वे अपने पाँव मक्का की ओर करके सो गए थे। इस पर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई, तो गुरु नानक ने कहा, “मुझे ऐसी दिशा दिखाओ, जहाँ ईश्वर न हो।” यह घटना उनके सार्वभौमिक और असीम ईश्वर के सिद्धांत को प्रदर्शित करती है।

चतुर्थ उदासी (1519-1521)

Biography Of Gurunanak: चौथी उदासी में गुरु नानक ने उत्तर भारत के कई अन्य क्षेत्रों और हिमालयी स्थानों की यात्रा की। इस यात्रा में वे तिब्बत और नेपाल जैसे स्थानों पर भी गए। उन्होंने यहाँ के संतों और साधुओं से मुलाकात की और उन्हें अपने विचारों से प्रेरित किया। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य विभिन्न धार्मिक परंपराओं को समझना और लोगों को यह सिखाना था कि हर धर्म में समानता और प्रेम की शिक्षा है।

पाँचवीं और अंतिम यात्रा (1521-1522)

Biography Of Gurunanak: अंतिम यात्रा में गुरु नानक जी ने पंजाब के कई हिस्सों का दौरा किया। यह यात्रा उन्होंने अपने जन्मभूमि के पास के गाँवों में की। इस यात्रा में वे करतारपुर पहुँचे और वहीं अपना निवास बनाया। यही स्थान उनके जीवन का अंतिम पड़ाव था।

धार्मिक यात्राओं का उद्देश्य और प्रभाव

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक देव जी की इन यात्राओं का उद्देश्य केवल धार्मिक उपदेश देना नहीं था, बल्कि उन्होंने एक नई सामाजिक चेतना का संचार किया। उन्होंने जात-पात, अंधविश्वास, और धार्मिक आडंबरों का खंडन किया और सभी धर्मों के लोगों को समानता, प्रेम, और सेवा का महत्व सिखाया। उनके विचारों ने समाज में एकता, भाईचारे और समानता का संदेश दिया। गुरु नानक जी की इन यात्राओं के कारण ही सिख धर्म की नींव रखी गई, और उनके विचारों का प्रभाव आज भी समाज में देखा जा सकता है।

गुरूनानक जी की शिक्षाएं और संदेश

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं और संदेश दिए, जो सिख धर्म का आधार बने। उनकी शिक्षाओं ने समाज में प्रेम, करुणा, और समानता की भावना का प्रचार किया और धर्म, जाति, और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी शिक्षाएं न केवल सिखों के लिए बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणादायक हैं।

गुरु नानक देव जी की मुख्य शिक्षाएं और संदेश

  1. “एक ओंकार” – ईश्वर एक है
    गुरु नानक का सबसे महत्वपूर्ण संदेश था “एक ओंकार,” जिसका अर्थ है कि भगवान एक है और सबमें समाहित है। उन्होंने कहा कि सभी जीव और सभी धर्म एक ही ईश्वर के बनाए हुए हैं, इसलिए हम सब एक हैं। ईश्वर निराकार है और वह हर स्थान और हर जीव में विद्यमान है।
  2. नाम जपना – ईश्वर का सिमरन
    गुरु नानक ने भगवान के नाम का सिमरन (ध्यान) करने की शिक्षा दी। उनका मानना था कि ईश्वर का नाम लेने से मन शुद्ध होता है और आत्मा को शांति मिलती है। उन्होंने लोगों को सिखाया कि सच्चे हृदय से भगवान का स्मरण करने से ही जीवन में सुख और शांति प्राप्त होती है।
  3. कीरत करना – ईमानदारी से जीवन यापन
    गुरु नानक जी ने सिखाया कि सभी को ईमानदारी और मेहनत से अपनी जीविका कमानी चाहिए। मेहनत से कमाया हुआ धन ही सच्चा धन होता है। उनका मानना था कि किसी को धोखा देकर या अन्याय से धन कमाना पाप है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और समाज के हित के लिए काम करना चाहिए।
  4. वंड छकना – बाँटना और सेवा करना
    गुरु नानक ने अपने अनुयायियों को सिखाया कि जो कुछ हमारे पास है, उसे दूसरों के साथ बाँटना चाहिए। उन्होंने “लंगर” की परंपरा की शुरुआत की, जिसमें हर व्यक्ति, चाहे उसका धर्म या जाति कुछ भी हो, साथ मिलकर भोजन करता है। यह परंपरा सभी में समानता और भाईचारे को बढ़ावा देती है।
  5. सभी धर्मों का सम्मान करना
    गुरु नानक देव जी ने सभी धर्मों का सम्मान किया और किसी भी धर्म का अपमान करने से मना किया। उनका मानना था कि सभी धर्मों के लोग ईश्वर की संतान हैं और सभी धर्म एक ही लक्ष्य की ओर ले जाते हैं। इसलिए, हमें हर व्यक्ति और हर धर्म का सम्मान करना चाहिए।
  6. जाति-पाति और भेदभाव का खंडन
    गुरु नानक ने जाति-प्रथा, ऊँच-नीच, और धार्मिक भेदभाव का कड़ा विरोध किया। उनका कहना था कि सभी इंसान एक समान हैं और जाति के आधार पर किसी के साथ भेदभाव करना गलत है। उन्होंने कहा कि सच्चे संत वही हैं, जो सभी में ईश्वर का अंश देखते हैं और किसी को भी ऊँचा या नीचा नहीं मानते।
  7. भौतिकवाद से दूर रहना
    गुरु नानक जी ने लोगों को सांसारिक मोह-माया से दूर रहने का उपदेश दिया। उनका मानना था कि धन-संपत्ति और सांसारिक भोग-विलास से व्यक्ति का मन अशांत होता है और वह सच्चे सुख का अनुभव नहीं कर पाता। उन्होंने लोगों को आडंबर, दिखावा और स्वार्थ से दूर रहकर एक सादा और सच्चा जीवन जीने की प्रेरणा दी।
  8. स्त्री का सम्मान
    गुरु नानक देव जी ने महिलाओं के अधिकारों और उनके महत्व को मान्यता दी। उस समय समाज में महिलाओं को निम्न स्थान पर रखा जाता था, परंतु गुरु नानक ने उन्हें समान अधिकार देने की बात की। उन्होंने कहा कि स्त्री ही जीवन का आधार है और हमें उन्हें बराबरी का सम्मान देना चाहिए।

गुरु नानक देव जी के संदेश का सार

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का सार यह है कि मानवता की सेवा, ईश्वर का सिमरन, ईमानदारी से काम, और सभी के प्रति समानता का भाव ही सच्चा धर्म है। उनके विचार केवल धार्मिक उपदेश नहीं थे, बल्कि वे सामाजिक क्रांति का संदेश भी थे, जिसने समाज में प्रेम, करुणा, और भाईचारे का संचार किया।

उनकी शिक्षाएं आज भी हमें एक सच्चे, समर्पित और शांतिपूर्ण जीवन का मार्ग दिखाती हैं। उनका जीवन और उनके संदेश पूरी मानवता के लिए प्रेरणादायक हैं।

गुरूनानक जी की “लंगर” की परंपरा

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक देव जी ने “लंगर” की परंपरा की शुरुआत की, जो सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लंगर एक ऐसा सामूहिक भोजन होता है, जहाँ बिना किसी भेदभाव के हर व्यक्ति को निःशुल्क भोजन परोसा जाता है। इसका उद्देश्य समाज में समानता, भाईचारा और सेवा की भावना को बढ़ावा देना है।

लंगर की परंपरा की शुरुआत

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक जी के समय में समाज में जाति-प्रथा और ऊँच-नीच की भावना बहुत प्रबल थी। लोग जाति और धर्म के आधार पर एक-दूसरे से दूरी बनाए रखते थे और एक ही स्थान पर बैठकर भोजन नहीं करते थे। गुरु नानक जी ने इस विभाजन को खत्म करने और समाज में समानता की भावना को बढ़ावा देने के लिए लंगर की परंपरा शुरू की।

पहली बार लंगर का आयोजन उस समय किया गया जब गुरु नानक जी के पिता ने उन्हें व्यापार के लिए कुछ पैसे दिए थे। गुरु नानक जी ने उन पैसों का उपयोग गरीबों और भूखों को भोजन कराने में किया, जिसे “सच्चा सौदा” कहा गया। इसी घटना को गुरु नानक की सेवा भावना का पहला उदाहरण माना जाता है, और यहीं से लंगर की परंपरा का आरंभ हुआ।

लंगर की विशेषताएँ और उद्देश्य

  1. समानता और भाईचारा
    लंगर में हर व्यक्ति, चाहे उसकी जाति, धर्म, लिंग, या सामाजिक स्तर कुछ भी हो, एक साथ बैठकर भोजन करता है। यह परंपरा समाज में समानता और भाईचारे को बढ़ावा देती है। गुरु नानक जी का यह मानना था कि ईश्वर की दृष्टि में सभी एक समान हैं, और लंगर उसी भावना को दर्शाता है।
  2. सेवा और परोपकार
    लंगर की परंपरा सिखों के लिए सेवा (सेवा भाव) का प्रतीक है। लंगर में भोजन बनाने से लेकर परोसने तक का काम स्वयंसेवकों द्वारा किया जाता है। सभी लोग अपनी क्षमता अनुसार सेवा में योगदान देते हैं, चाहे वह खाना पकाना हो, बर्तन धोना हो, या भोजन परोसना हो। इसे “सेवा” कहा जाता है, और यह सिख धर्म की महत्वपूर्ण शिक्षाओं में से एक है।
  3. भूखों और जरूरतमंदों के लिए भोजन
    लंगर का उद्देश्य केवल समानता का संदेश देना नहीं, बल्कि भूखे और जरूरतमंद लोगों को भोजन प्रदान करना भी है। सिख गुरुद्वारों में लंगर हर समय उपलब्ध रहता है, और कोई भी व्यक्ति किसी भी समय यहाँ आकर भोजन कर सकता है।
  4. सादगी और शुद्धता का प्रतीक
    लंगर में परोसा जाने वाला भोजन सादा और शाकाहारी होता है, ताकि सभी लोग इसे ग्रहण कर सकें और किसी की धार्मिक या व्यक्तिगत मान्यताओं को ठेस न पहुँचे। इस भोजन को बड़े ही शुद्ध और विनम्र तरीके से बनाया जाता है और पूरे सम्मान के साथ परोसा जाता है।
  5. समर्पण और सामुदायिक भावना
    लंगर सामुदायिक भावना का प्रतीक है, जिसमें हर व्यक्ति सहयोग करता है और भोजन को साझा करता है। इसमें कोई उच्च-नीच का भाव नहीं होता। सभी लोग मिलकर खाना बनाते हैं, भोजन करते हैं, और इसके बाद मिलकर सफाई करते हैं।

लंगर का आधुनिक महत्व

Biography Of Gurunanak: आज भी लंगर की परंपरा दुनिया के हर गुरुद्वारे में निभाई जाती है। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों लोग लंगर में भोजन करते हैं। यह परंपरा आज वैश्विक स्तर पर भी प्रसिद्ध हो चुकी है। आपदाओं के समय, प्राकृतिक संकटों के दौरान, और कहीं भी जरूरतमंदों के बीच सिख समुदाय लंगर सेवा के माध्यम से सहायता पहुँचाता है।

गुरु नानक जी की यह परंपरा आज के समाज के लिए भी एक प्रेरणा है, जो मानवता, समानता और सेवा के मूल्यों को प्रदर्शित करती है। लंगर हमें यह सिखाता है कि हम सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं, और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम, समानता, और सम्मान के साथ पेश आना चाहिए।

गुरूनानक जी का अंतिम समय और ज्योति जोत

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक देव जी का अंतिम समय भी उनके जीवन की तरह ही अद्वितीय और प्रेरणादायक था। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में करतारपुर नामक स्थान पर निवास किया, जिसे उन्होंने स्वयं बसाया था। यहाँ उन्होंने लोगों को धर्म, सेवा, और सत्य का मार्ग दिखाने के अपने कार्य को जारी रखा। करतारपुर में उन्होंने एक समुदाय की स्थापना की, जहाँ सभी लोग मिलकर काम करते थे और ईश्वर की भक्ति करते थे। गुरु नानक जी का यही स्थान उनके अनुयायियों के लिए शिक्षा और प्रेरणा का केंद्र बन गया था।

अंतिम समय और ज्योति जोत

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक देव जी ने 22 सितंबर 1539 को करतारपुर में अपनी शारीरिक लीला समाप्त की। उनकी अंतिम विदाई के समय उनके अनुयायियों में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोग थे। उनकी शिक्षाओं और उनके जीवन का हर एक पल सभी धर्मों के लोगों के लिए प्रेरणादायक था, और इसलिए सभी उन्हें अपने तरीके से विदाई देना चाहते थे।

उनके निधन के समय एक अनोखी घटना घटी। हिंदू अनुयायियों का मानना था कि उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार होना चाहिए, जबकि मुस्लिम अनुयायी उनका दफन करना चाहते थे। गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं के अनुसार, वे न केवल किसी एक धर्म के थे, बल्कि सभी धर्मों का आदर करते थे और सभी के लिए समान प्रेम और सम्मान रखते थे।

यहाँ पर गुरु नानक जी ने अपने अनुयायियों को पहले से ही यह संदेश दिया था कि उनके शारीरिक शरीर का मोह छोड़ देना चाहिए, क्योंकि असली गुरु का स्वरूप उसके विचारों और शिक्षाओं में होता है। ऐसा कहा जाता है कि जब हिंदू और मुस्लिम अनुयायी उनके शरीर के पास पहुँचे तो वहाँ उनके शरीर के बजाय एक सफेद चादर मिली, और दोनों समुदायों ने इसे आधा-आधा बाँट लिया। हिंदू अनुयायियों ने उस चादर को जलाकर उसकी राख को प्रवाहित किया, जबकि मुस्लिम अनुयायियों ने उसे दफन कर दिया।

गुरु नानक का ज्योति जोत समाना

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक के निधन को “ज्योति जोत समाना” कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि उनका प्रकाश (ज्योति) ईश्वर के साथ समाहित हो गया। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम क्षण में यह संदेश दिया कि गुरु का कार्य कभी समाप्त नहीं होता; वह अनंत काल तक अपने विचारों और शिक्षाओं के रूप में जीवित रहता है।

गुरु नानक जी के बाद, उनकी शिक्षाओं को उनके उत्तराधिकारी गुरु अंगद देव जी ने आगे बढ़ाया। गुरु नानक जी ने गुरुत्व की यह परंपरा बनाई, जो उनके दसवें उत्तराधिकारी गुरु गोबिंद सिंह जी तक चली।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का प्रभाव

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक जी का ज्योति जोत समाना उनके अनुयायियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना थी। उनके विचार और शिक्षाएं उनके शारीरिक रूप से न होने के बाद भी लोगों को मार्गदर्शन प्रदान करती रहीं। उनका जीवन और शिक्षाएं हमें बताती हैं कि सच्चा गुरु वही होता है जो अपने अनुयायियों को सच्चाई, प्रेम, और भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

आज भी, गुरु नानक देव जी का प्रकाश उनके अनुयायियों के दिलों में जीवित है। उनकी शिक्षाओं और संदेशों ने सिख धर्म की नींव रखी और उनके विचार पूरी मानवता के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

गुरु नानक जयंती कैसे मनाई जाती है?

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक जयंती, जिसे “गुरुपर्व” या “प्रकाश उत्सव” के नाम से भी जाना जाता है, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। इसे सिख समुदाय के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। इस दिन को गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

गुरु नानक जयंती मनाने के प्रमुख तरीके

  1. अखंड पाठ (गुरु ग्रंथ साहिब का लगातार पाठ)
    गुरु नानक जयंती से दो दिन पहले “अखंड पाठ” का आयोजन किया जाता है। इसमें गुरु ग्रंथ साहिब का लगातार 48 घंटे का पाठ किया जाता है। इसका आयोजन गुरुद्वारों में और कई लोग इसे अपने घरों में भी करते हैं। इस पाठ को बहुत ही श्रद्धा और भक्ति के साथ सुना जाता है, और इसके समापन पर भजन-कीर्तन किए जाते हैं।
  2. नगर कीर्तन
    गुरु नानक जयंती के एक दिन पहले “नगर कीर्तन” का आयोजन होता है। इसमें गुरु ग्रंथ साहिब को एक भव्य पालकी में सजाकर पूरे नगर में शोभायात्रा निकाली जाती है। यह शोभायात्रा मुख्यतः पंज प्यारों द्वारा नेतृत्व की जाती है, जो पारंपरिक वस्त्रों में होते हैं। शोभायात्रा में सिख झंडा (निशान साहिब) भी लहराया जाता है। कीर्तन, शबद और भक्ति संगीत के साथ यह शोभायात्रा बहुत ही उल्लासपूर्वक निकाली जाती है।
  3. प्रभात फेरियाँ
    गुरु नानक जयंती के कुछ दिन पहले से ही प्रभात फेरियाँ (सुबह की परिक्रमा) शुरू हो जाती हैं। भक्तजन सुबह-सुबह इकट्ठा होते हैं और गुरु नानक देव जी के भजन गाते हुए गुरुद्वारों या घरों के पास से गुजरते हैं। इन प्रभात फेरियों का उद्देश्य लोगों में गुरु नानक देव जी के विचारों और शिक्षाओं का प्रचार करना होता है।
  4. गुरुद्वारों में विशेष प्रार्थनाएँ और कीर्तन
    गुरु नानक जयंती के दिन गुरुद्वारों में विशेष प्रार्थनाएँ और कीर्तन का आयोजन होता है। इसमें गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का स्मरण किया जाता है और उनकी जीवन कथा सुनाई जाती है। भक्तजन इस अवसर पर श्रद्धा भाव से गुरु नानक देव जी के संदेशों को सुनते हैं और उनका अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं।
  5. लंगर (सामूहिक भोजन)
    गुरु नानक जयंती के दिन हर गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन होता है। लंगर सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें सभी जाति, धर्म, और पृष्ठभूमि के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। यह परंपरा गुरु नानक देव जी के समानता, सेवा और भाईचारे के संदेश को साकार रूप में प्रकट करती है।
  6. कविता और प्रवचन
    इस दिन गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित कविताएँ, प्रवचन, और शबद गाए जाते हैं। सिख विद्वान और गुरु के अनुयायी उनके विचारों, शिक्षाओं और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा करते हैं।
  7. विशेष सजावट
    गुरुद्वारे और सिख समुदाय के घरों को इस अवसर पर विशेष रूप से सजाया जाता है। लाइटिंग और रंग-बिरंगे फूलों से गुरुद्वारों को सजाया जाता है, जिससे पूरे वातावरण में एक उत्सव का माहौल बन जाता है।
  8. सामाजिक सेवा और परोपकार
    गुरु नानक देव जी की जयंती के अवसर पर सिख समुदाय में कई लोग गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं। वे कपड़े, भोजन, और अन्य आवश्यक वस्तुएं वितरित करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। इसके माध्यम से वे गुरु नानक जी की सेवा और परोपकार की शिक्षा का पालन करते हैं।

गुरु नानक जयंती का महत्व

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक जयंती का महत्व न केवल सिखों के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए है। गुरु नानक जी ने समाज में समानता, प्रेम, और सेवा का संदेश दिया था, और उनके जीवन से जुड़े ये मूल्य आज भी हमें प्रेरित करते हैं। उनकी शिक्षाओं के आधार पर इस पर्व का उद्देश्य लोगों को प्रेम, करुणा, और भाईचारे की भावना का पालन करने के लिए प्रेरित करना है।

गुरु नानक देव जी के संदेश और उनके जीवन की शिक्षाएँ आज भी समाज में प्रेरणा का स्रोत हैं, और उनकी जयंती इन शिक्षाओं को पुनः याद करने और उनके मार्ग पर चलने का अवसर देती है।

गुरु नानक जयंती 2024 को कब मनाई जायेगी?

Biography Of Gurunanak: गुरु नानक जी की जयंती 2024 में 15 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी, जो कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन होती है। इस पवित्र पर्व को प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है और यह सिख समुदाय का एक प्रमुख त्योहार है, जिसमें गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं और उनके जीवन को सम्मानित किया जाता है।

गुरुद्वारों में इस दिन “अखंड पाठ” का आयोजन किया जाता है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे तक लगातार पाठ होता है। इसके बाद नगर कीर्तन (धार्मिक जुलूस) निकाले जाते हैं, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब को सजाए गए रथ पर रखा जाता है और लोग भक्ति गीत गाते हुए चलते हैं। इस दौरान सिख पारंपरिक मार्शल आर्ट “गटका” का प्रदर्शन भी किया जाता है। गुरुद्वारों में लंगर (सामूहिक भोजन) की व्यवस्था होती है, जिसमें सभी जाति, धर्म और समुदाय के लोग मिलकर भोजन करते हैं, जो गुरु नानक जी की समानता और सेवा की भावना का प्रतीक है।

FAQS-

1. गुरु नानक जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
गुरु नानक जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को तलवंडी नामक गाँव में हुआ था, जो वर्तमान में पाकिस्तान के ननकाना साहिब में स्थित है। उनके जन्मदिवस को कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है।

2. गुरु नानक जी का प्रमुख संदेश क्या था?
गुरु नानक जी ने “एक ओंकार” का संदेश दिया, जिसका अर्थ है “सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं।” उन्होंने समाज में समानता, सेवा, सत्य, और ईश्वर की भक्ति पर जोर दिया। उनके प्रमुख सिद्धांतों में “नाम जपो” (ईश्वर का नाम स्मरण करो), “किरत करो” (इमानदारी से काम करो), और “वंड छको” (अपनी संपत्ति को दूसरों के साथ साझा करो) शामिल हैं।

3. गुरु नानक जी की प्रमुख धार्मिक यात्राएँ कौन-सी थीं?
गुरु नानक जी ने चार मुख्य यात्राएँ (उदासियाँ) कीं, जो भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तिब्बत, और अरब देशों में फैली हुई थीं। इन यात्राओं का उद्देश्य लोगों को धार्मिक अंधविश्वासों से मुक्त करना और सच्चाई की राह दिखाना था।

4. गुरु नानक जी ने “लंगर” की परंपरा क्यों शुरू की?
गुरु नानक जी ने “लंगर” की परंपरा समानता और सेवा की भावना को बढ़ावा देने के लिए शुरू की। इसमें सभी जाति, धर्म, और पृष्ठभूमि के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, जो समाज में एकता और भाईचारे का प्रतीक है।

5. गुरु नानक जी का ज्योति जोत समाना का क्या अर्थ है?
गुरु नानक जी का ज्योति जोत समाना 22 सितंबर 1539 को हुआ था। इसका अर्थ है कि उनका भौतिक शरीर ईश्वर में समा गया, लेकिन उनके विचार और शिक्षाएँ अनंत काल तक जीवित रहेंगी।

6. गुरु नानक जी की शिक्षाओं को कौन से धार्मिक ग्रंथ में संग्रहित किया गया है?
गुरु नानक जी की शिक्षाएँ “गुरु ग्रंथ साहिब” में संग्रहित हैं। इसे सिखों का पवित्र धर्मग्रंथ माना जाता है, जिसमें उनके जीवन और शिक्षाओं के उपदेश और शबद (भजन) हैं।

7. गुरु नानक जी का संदेश किन समाजिक मुद्दों को संबोधित करता था?
गुरु नानक जी ने जाति-प्रथा, ऊँच-नीच का भेदभाव, अंधविश्वास, और धार्मिक कट्टरता का विरोध किया। उन्होंने यह संदेश दिया कि सभी मनुष्य समान हैं, और हमें प्रेम, सत्य, और सेवा की भावना के साथ जीवन जीना चाहिए।

8. गुरु नानक जी का उत्तराधिकारी कौन था?
गुरु नानक जी ने गुरु अंगद देव जी को अपना उत्तराधिकारी चुना। गुरु अंगद देव जी ने गुरु नानक जी की शिक्षाओं को आगे बढ़ाया और सिख धर्म की परंपरा को सुदृढ़ किया।

9. गुरु नानक जी के निधन को किस नाम से जाना जाता है?
उनके निधन को “ज्योति जोत समाना” कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि उनका भौतिक रूप समाप्त हो गया, लेकिन उनका आध्यात्मिक प्रकाश अनंत है।

10. गुरु नानक जयंती कब मनाई जाती है?
यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो अक्टूबर-नवंबर में पड़ता है। 2024 में यह 15 नवंबर को मनाई जाएगी​।

11.गुरु नानक जी का योगदान किस ग्रंथ में संग्रहित है?
उनकी शिक्षाएँ और भजन “गुरु ग्रंथ साहिब” में संकलित हैं, जो सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ है।

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Success Story Of Donald Trump: डोनाल्ड ट्रम्प बने अमेरिका के 47 वें राष्ट्रपति 2024

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Success Story Of Donald Trump: डोनाल्ड ट्रम्प बने अमेरिका के 47 वें राष्ट्रपति 2024

Success Story Of Donald Trump: डोनाल्ड ट्रम्प की सफलता की कहानी बहुत ही दिलचस्प और प्रेरणादायक है, जो संघर्ष, मेहनत, और विवादों से भरी हुई है। उनका जन्‍म 14 जून सन् 1946 में न्यूयॉर्क के एक अमीर परिवार में हुआ था। उनके पिता फ्रेड ट्रम्प, एक सफल रियल एस्टेट व्यवसायी थे, और उनसे ट्रम्प को व्यवसाय के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला।

हालांकि, ट्रम्प का सफर आसान नहीं था। और उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन अपने मेहनत और आत्मविश्वास से उन्होंने बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। अभी हाल ही में उन्‍होने अमेरिका के 47 वें राष्ट्रपति  का चुनाव जीता है। तो आज के इस पोस्‍ट Success Story Of Donald Trump में उनके बारे में जानेंगे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

Success Story Of Donald Trump: डोनाल्‍ड ट्रम्प  का जन्‍म 14 जून सन् 1946 में अमेरिका के न्‍यूयॉर्क शहर में एक रीच परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम फ्रेड ट्रम्प एवं मां का नाम मरियम ऐनी था। उन्‍होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा न्यूयॉर्क के फोर्डहैम यूनिवर्सिटी में की, फिर उन्होंने पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी के व्हार्टन स्कूल से फाइनेंस में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 1968 में कॉलेज से स्नातक होने के बाद, उन्होंने अपने पिता के रियल एस्टेट व्यवसाय में कदम रखा और उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

रियल एस्टेट और व्यवसाय

Success Story Of Donald Trump: डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने करियर की शुरुआत रियल एस्टेट में की। उन्होंने पुराने और ढह चुके भवनों को नया रूप देकर उन्हें लक्जरी होटल्स, कैसिनो और कार्यालय भवनों में बदल दिया। उनकी सबसे बड़ी परियोजनाओं में ट्रम्प टॉवर, अटलांटिक सिटी में ट्रम्प प्लाजा और ट्रम्प एंटरटेनमेंट रिज़ॉर्ट्स जैसी बड़ी इमारतें शामिल हैं। ट्रम्प का नाम रियल एस्टेट के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित ब्रांड बन गया।

मीडिया और शोबिज़ में कदम

Success Story Of Donald Trump: 1980 के दशक में ट्रम्प ने मीडिया में भी अपनी पहचान बनाई। 2004 में उनका टीवी शो द अप्रेंटिस शुरू हुआ, जो बेहद लोकप्रिय हुआ और ट्रम्प को एक नई पहचान दी। उन्होंने इस शो में “You’re Fired” जैसी पंक्ति से दर्शकों को आकर्षित किया, जिससे वे एक जाने-माने टेलीविज़न पर्सनैलिटी बन गए।

राजनीति में प्रवेश और राष्ट्रपति पद

Success Story Of Donald Trump: ट्रम्प का राजनीति में कोई औपचारिक अनुभव नहीं था, लेकिन वे अपनी मुखर शैली, टीवी शो “द अप्रेंटिस” से मिली लोकप्रियता और विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने पहली बार 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी से उम्मीदवारी की घोषणा की। उनकी शैली, जनता से सीधे संवाद, और “अमेरिका फर्स्ट” जैसे नारों ने उन्हें तेजी से लोकप्रिय बना दिया।

डोनाल्ड ट्रम्प ने 2016 में रिपब्लिकन पार्टी से अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा और एक विवादास्पद लेकिन प्रभावी अभियान चलाया। उन्होंने अपने बेबाक अंदाज और अमेरिका में बदलाव लाने के वादों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। अंततः 2016 के चुनावों में उन्होंने जीत हासिल की और 45वें अमेरिकी राष्ट्रपति बने। अपने कार्यकाल में ट्रम्प ने कई नीतिगत बदलाव किए, जिनमें आर्थिक सुधार, इमिग्रेशन पॉलिसी और व्यापारिक समझौतों में बदलाव शामिल थे।

संघर्ष और विवाद

Success Story Of Donald Trump: ट्रम्प के सफर में कई विवाद भी जुड़े रहे। उनके कार्यकाल के दौरान मीडिया से उनके रिश्ते, इमिग्रेशन नीतियों, और कोरोनावायरस महामारी के दौरान लिए गए फैसले को लेकर आलोचनाएँ हुईं। लेकिन अपने आत्मविश्वास और आक्रामक रणनीतियों से उन्होंने इनका सामना किया।

प्रमुख उपलब्धियाँ और सीख

Success Story Of Donald Trump: डोनाल्ड ट्रम्प की सफलता की कहानी यह बताती है कि जोखिम लेना और आत्मविश्वास बनाए रखना महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपनी नीतियों से हमेशा अपने समर्थकों को प्रेरित किया। चाहे बिजनेस हो, मीडिया, या राजनीति, उन्होंने हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई।

राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल (2017-2021)

Success Story Of Donald Trump: 20 जनवरी 2017 को उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले और विवादस्पद नीतियाँ रहीं:

  1. आव्रजन नीति: ट्रम्प ने आव्रजन पर कड़ी नीति अपनाई, जिसमें मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाने और मुस्लिम-बहुल देशों के नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध शामिल थे।
  2. अर्थव्यवस्था और कर सुधार: उन्होंने बड़े कर कटौती और व्यापारिक नीतियों में सुधार किए, जो बड़े व्यापारिक घरानों के लिए फायदेमंद साबित हुए।
  3. विदेश नीति: ट्रम्प ने उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन से मुलाकात की, जो एक ऐतिहासिक कदम था। उन्होंने अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते और ईरान न्यूक्लियर डील से बाहर निकाला।
  4. COVID-19 महामारी: उनके कार्यकाल के अंतिम वर्ष में COVID-19 महामारी आई, जिसके लिए उनकी सरकार की प्रतिक्रिया पर विवाद हुआ। उनके कार्यकाल के अंत में महामारी और नस्लीय न्याय के मुद्दों पर गहरे विभाजन दिखे।
  5. इम्पीचमेंट: ट्रम्प के खिलाफ दो बार महाभियोग चलाया गया। पहला 2019 में यूक्रेन प्रकरण पर, और दूसरा 2021 में कैपिटल हिल पर हिंसा को उकसाने के आरोप में।

चुनाव हारना और नए सिरे से राजनीति

Success Story Of Donald Trump: 2020 में ट्रम्प ने जो बाइडेन के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। हार के बाद उन्होंने चुनाव में धांधली के आरोप लगाए और कानूनी लड़ाई लड़ी। 6 जनवरी 2021 को उनके समर्थकों ने कैपिटल हिल पर हमला किया, जिसके बाद उन्हें सोशल मीडिया से भी प्रतिबंधित कर दिया गया।

2024 के चुनाव में फिर से उम्मीदवारी

Success Story Of Donald Trump: ट्रम्प ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है। उनकी लोकप्रियता अभी भी उनके समर्थकों के बीच काफी मजबूत है। उनके समर्थक उन्हें अमेरिका के लिए सही नेता मानते हैं, जबकि आलोचक उन्हें लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हैं।

डोनाल्ड ट्रम्प का राजनीतिक कैरियर अमेरिका में न सिर्फ गहरे विभाजन की निशानी है, बल्कि राजनीति की नई परिभाषा भी है, जहां सामाजिक मीडिया, विवादास्पद बयानों और आक्रामक नीतियों का बड़ा प्रभाव है।

डोनाल्ड ट्रंप, यूएस चुनावी परिणाम 2024  

Success Story Of Donald Trump: डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका का 47वां राष्ट्रपति घोषित किया गया है। वह लगातार दो बार चुनाव जीतने वाले दूसरे राष्ट्रपति बने हैं। अपने विपक्षी उम्‍मीदवार कमला हैरिस को 66,264,540 वोट मिले, जबकि ट्रंप को 71,202,731 वोट (51%) मिले।

डोनाल्‍ड ट्रम्प 277 इलेक्टोरल वोट जीत लिए हैं, जिससे वे आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति बनने की दहलीज पार कर गए हैं। हालांकि, इलेक्टोरल कॉलेज दिसंबर में एक बैठक करेगा, जिसमें इलेक्टर आधिकारिक रूप से वोट करेंगे और राष्ट्रपति की घोषणा करेंगे। 

डोनाल्ड ट्रम्प ने 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज की है, जिसमें उन्होंने उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस को हराया। उनकी जीत में आर्थिक रूप से संघर्षरत क्षेत्रों और विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों के कुछ हिस्सों में समर्थन ने प्रमुख भूमिका निभाई। रिपब्लिकन पार्टी को इस चुनाव में भी फायदा हुआ है, क्योंकि वे अमेरिकी सीनेट में बहुमत हासिल करने में सफल हुए, जिससे उनकी नीतियों और न्यायिक नियुक्तियों को समर्थन मिलेगा। हालाँकि, प्रतिनिधि सभा का नियंत्रण अभी अनिश्चित है।

FAQS-

डोनाल्ड ट्रम्प का जन्‍म कब और कहां हुआ था?

जन्‍म 14 जून सन् 1946 में न्यूयॉर्क में।

डोनाल्ड ट्रम्प के पिता का क्‍या नाम था?

फ्रेड ट्रम्प।

डोनाल्ड ट्रम्प के मां का क्‍या नाम था?

मरियम ऐनी

डोनाल्ड ट्रम्प कौन से पार्टी के नेता है?

रिपब्लिकन पार्टी

डोनाल्ड ट्रम्प प्रथम बार अमेरिका राष्ट्रपति कब बने?

2016 में 45 वें राष्ट्रपति।

डोनाल्ड ट्रम्प अभी हाल ही में कौन से नम्‍बर के राष्ट्रपति बनें है?

47 वें राष्ट्रपति।

2024 के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प ने किसे हराया है?

उराष्ट्रपति कमला हैरिस को।

डोनाल्ड ट्रम्प को 2024 चुनाव कितने प्रतिशत वोट मिले है

51 प्रतिशत।

डोनाल्ड ट्रम्प को 2024 चुनाव में कुल कितने वोट मिले हैं?

71,202,731 वोट।

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Fiber Optic Cable Kya Hai । What is Fiber Cable

Fiber Optic Cable Kya Hai What is Fiber Cable

Fiber Optic Cable Kya Hai ।। What is Fiber Cable

Fiber Optic Cable Kya Hai: फाइबर ऑप्टिक केबल एक विशेष प्रकार की केबल है, जिसका उपयोग तेज गति से और लंबी दूरी तक डेटा ट्रांसमिशन के लिए किया जाता है। इसमें कांच या प्लास्टिक के पतले-लंबे रेशे होते हैं, जिनमें प्रकाश संकेतों के रूप में डेटा ट्रांसमिट होता है। फाइबर ऑप्टिक केबल डेटा ट्रांसमिशन के लिए पारंपरिक तांबे के तारों की तुलना में अधिक कुशल और तेज होती है, क्योंकि इसमें प्रकाश की गति के कारण डेटा ज्यादा दूरी तक बिना किसी रुकावट के भेजा जा सकता है। आज के इस पोस्‍ट Fiber Optic Cable Kya Hai के माध्‍यम से ऑप्टिक केबल के बारे में जानेंगे।

फाइबर ऑप्टिक केबल की मुख्य विशेषताएँ

1. तेज़ गति: फाइबर ऑप्टिक केबल प्रकाश की गति से डेटा ट्रांसमिट कर सकती है, जिससे डेटा ट्रांसफर बहुत तेज़ होता है।

2. लंबी दूरी: ये केबल लंबे समय तक डेटा को बिना किसी सिग्नल लॉस के ट्रांसमिट कर सकती है।

3. कम सिग्नल लॉस: इसमें तांबे की केबल की तुलना में सिग्नल लॉस बहुत कम होता है, जिससे डेटा की गुणवत्ता अच्छी बनी रहती है।

4. विद्युत चुंबकीय रुकावट का प्रभाव नहीं: चूँकि ये केबल्स प्रकाश के संकेतों का उपयोग करती हैं, इसलिए उन पर विद्युत चुंबकीय रुकावट का कोई असर नहीं होता है।

    फाइबर ऑप्टिक केबल का उपयोग इंटरनेट, टेलीफोन नेटवर्क्स और केबल टेलीविज़न के साथ-साथ मेडिकल और इंडस्ट्रियल उपकरणों में भी होता है, जहाँ तेज और सुरक्षित डेटा ट्रांसमिशन की आवश्यकता होती है।

    फाईबर ऑप्टिक केबल कैसे काम करता है ?

    Fiber Optic Cable Kya Hai: फाइबर ऑप्टिक केबल एक प्रकार का केबल होता है, जो डेटा को प्रकाश (लाइट) के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजता है। यह डेटा ट्रांसमिशन की बहुत तेज और विश्वसनीय तकनीक है। आइए समझते हैं कि यह कैसे काम करता है:

    1. संरचना:

    • कोर (Core): फाइबर ऑप्टिक केबल का केंद्र भाग होता है, जिसमें लाइट (प्रकाश) सिग्नल चलते हैं। कोर ग्लास या प्लास्टिक का बना होता है।
    • क्लैडिंग (Cladding): कोर के चारों ओर एक और परत होती है जिसे क्लैडिंग कहते हैं। यह कोर में चलने वाली लाइट को अंदर बनाए रखने में मदद करती है, जिससे लाइट बाहर नहीं निकल पाती।
    • जैकेट (Jacket): क्लैडिंग के बाहर एक सुरक्षात्मक परत होती है, जो केबल को बाहरी क्षति से बचाती है।

    2. काम करने का तरीका:

    • जब डेटा (जैसे इंटरनेट डेटा) फाइबर ऑप्टिक केबल में प्रवेश करता है, तो इसे इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल से प्रकाशीय सिग्नल में बदल दिया जाता है।
    • ये लाइट सिग्नल कोर के माध्यम से यात्रा करते हैं। क्लैडिंग की वजह से लाइट कोर के अंदर ही परावर्तित होती रहती है, जो इसे लंबे दूरी तक जाने में मदद करती है। इसेटोटल इंटरनल रिफ्लेक्शनकहा जाता है।
    • लाइट सिग्नल एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक यात्रा करता है और फिर इसे रिसीवर के पास जाकर फिर से इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल में बदल दिया जाता है, ताकि इसे डिवाइस (जैसे कंप्यूटर या राउटर) पढ़ सकें।

    फाइबर ऑप्टिक केबल के प्रकार:

    Fiber Optic Cable Kya Hai: फाइबर ऑप्टिक केबल मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:

    1. सिंगल-मोड फाइबर (Single-Mode Fiber)
      सिंगल-मोड फाइबर केबल में केवल एक ही प्रकाश किरण (light ray) एक दिशा में यात्रा करती है। इसका मुख्य उपयोग लंबी दूरी पर डेटा ट्रांसमिशन के लिए होता है, क्योंकि इसमें कम बिखराव (dispersion) और उच्च गति होती है। इसकी कोर का व्यास बहुत छोटा होता है, जो लगभग 8 से 10 माइक्रोन के आसपास होता है।

    Fiber Optic Cable Kya Hai ।। What is Fiber Cable

    1. मल्टी-मोड फाइबर (Multi-Mode Fiber)
      मल्टी-मोड फाइबर में एक से अधिक प्रकाश किरणें (multiple light rays) विभिन्न एंगल पर यात्रा करती हैं। इसे छोटी दूरी के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि LAN (Local Area Network) या डेटा सेंटर्स में। इसमें कोर का व्यास सिंगल-मोड की तुलना में बड़ा होता है, जो लगभग 50 से 62.5 माइक्रोन के आसपास होता है।

    Fiber Optic Cable Kya Hai ।। What is Fiber Cable

    इन दोनों प्रकारों का उपयोग विभिन्न अनुप्रयोगों में होता है और इनकी विशेषताएं डेटा ट्रांसमिशन की दूरी और गति पर निर्भर करती हैं।

    फाइबर ऑप्टिक केबल के फायदे:

    • तेज़ गति: फाइबर ऑप्टिक केबल में डेटा ट्रांसमिशन बहुत तेज़ होता है।
    • लंबी दूरी: बिना सिग्नल लॉस के डेटा को लंबी दूरी तक भेजा जा सकता है।
    • इंटरफेरेंस-प्रूफ: इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेरेंस नहीं होता, जिससे यह स्थिर कनेक्शन देता है।

    Fiber Optic Cable Kya Hai: फाइबर ऑप्टिक केबल का उपयोग अब इंटरनेट, केबल टीवी, टेलीकम्युनिकेशन, और नेटवर्किंग में बहुत बढ़ चुका है, क्योंकि यह अन्य केबलों की तुलना में तेज और अधिक विश्वसनीय है। तो आज के इस पोस्‍ट Fiber Optic Cable Kya Hai में हमने फाइबर ऑप्टिकल केबल के बारे में जाना।

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    Vinesh Phogat Ka Jeevan Parichay: विनेश फोगाट का जीवन परिचय

    Vinesh Phogat Ka Jeevan Parichay: विनेश फोगाट एक प्रसिद्ध भारतीय पहलवान हैं, जिनका नाम कुश्ती के क्षेत्र में उल्लेखनीय है। जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में अपने देश का नाम रोशन किया है। वे प्रसिद्ध फोगाट परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जिसने भारत को कई कुश्ती चैंपियन दिए हैं। विनेश का संबंध भारत के उस परिवार से है, जिसके सदस्यों ने भारतीय कुश्ती में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज के इस पोस्‍ट Vinesh Phogat Ka Jeevan Parichay में उनके जीवन के बारे में जानेगें।

    विनेश फोगाट का जन्‍म

    Vinesh Phogat Ka Jeevan Parichay: विनेश फोगाट एक भारतीय महिला पहलवान हैं, उनका जन्म 25 अगस्त 1994 को हरियाणा के बालाली गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम राजपाल फोगाट और माता का नाम प्रेमलता फोगाट है। उनके चाचा महावीर फोगाट ने उन्हें और उनकी बहनों को कुश्ती में प्रशिक्षित किया, जो कि उस समय की एक दुर्लभ बात थी।

    शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

    Vinesh Phogat Ka Jeevan Parichay: विनेश की स्कूली शिक्षा हरियाणा में हुई, जहां उन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में ही कुश्ती में रुचि दिखाना शुरू कर दिया था। इसके बाद उन्होंने पूरे समर्पण के साथ अपने कुश्ती करियर पर ध्यान केंद्रित किया और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। उनकी शिक्षा का अधिक विवरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, क्योंकि उनकी प्राथमिकता हमेशा कुश्ती रही है, लेकिन उनका शुरुआती प्रशिक्षण अपने गांव में परिवार की देखरेख में ही हुआ था।

    विनेश फोगाट का पालन-पोषण एक ग्रामीण परिवेश में हुआ, जहाँ परंपरागत रूप से लड़कियों को कुश्ती जैसे खेलों में शामिल नहीं किया जाता था। फिर भी, अपने चाचा महावीर फोगाट की प्रेरणा और प्रशिक्षण से, उन्होंने कुश्ती में करियर बनाने का निर्णय लिया। उन्हें शुरुआती दिनों में काफी संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि समाज का समर्थन नहीं था। इसके बावजूद, उन्होंने मेहनत और लगन से कुश्ती की दुनिया में अपना नाम बनाया।

    कैरियर और उपलब्धियाँ

    Vinesh Phogat Ka Jeevan Parichay: विनेश फोगाट ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उनकी प्रमुख उपलब्धियाँ निम्‍नलिखित हैं:

    1. एशियाई खेल:

    • 2014 में हुए एशियाई खेलों में विनेश फोगाट ने कांस्य पदक जीता।
    • 2018 के जकार्ता एशियाई खेलों में उन्होंने 50 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया, जिससे वे एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं।

    2. कॉमनवेल्थ खेल:

    • 2014 के ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता।
    • 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में भी उन्होंने 50 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया।

    3. विश्व कुश्ती चैंपियनशिप:

    • 2019 में नूर-सुल्तान में आयोजित विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक जीता और इसके साथ ही टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्‍वालीफाई किया।

    4. ओलंपिक:

    • विनेश ने 2016 के रियो ओलंपिक में हिस्सा लिया, जहाँ उन्हें चोट के कारण प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा। हालाँकि, चोट के बाद भी उन्होंने संघर्ष जारी रखा और 2020 के टोक्यो ओलंपिक में क्‍वालीफाई किया।

    5. एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप:

    • विनेश ने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कई पदक जीते हैं, जिनमें स्वर्ण, रजत और कांस्य शामिल हैं।

    अन्य विशेषताएँ और सम्मान:

    • विनेश को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जो भारतीय खेल में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
    • वे भारतीय महिला कुश्ती की प्रमुख चेहरा मानी जाती हैं और अपने जुनून एवं समर्पण से उन्होंने दुनिया भर में भारत का नाम रोशन किया है।

    विनेश फोगाट की करियर एक प्रेरणा है, विशेष रूप से महिलाओं के लिए, जो पारंपरिक सोच से हटकर अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं।

    पुरस्कार और सम्मान

    Vinesh Phogat Ka Jeevan Parichay: विनेश फोगाट को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं:

    • अर्जुन अवॉर्ड: 2016 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
    • राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार: 2020 में, उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान से सम्मानित किया गया।

    व्यक्तिगत जीवन

    Vinesh Phogat Ka Jeevan Parichay: विनेश फोगाट ने 2018 में अपने साथी पहलवान सोमवीर राठी से शादी की। उनके पति भी कुश्ती में रुचि रखते हैं, और दोनों अपने करियर में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।

    विनेश का जीवन संघर्ष, साहस और मेहनत की प्रेरणा देता है। उन्होंने साबित किया है कि समाज की बाधाओं के बावजूद, समर्पण और कड़ी मेहनत से कोई भी ऊँचाइयाँ हासिल कर सकता है।

    Vinesh Phogat Ka Jeevan Parichay: Biography Of Viesh Phogat

    प्रश्‍नोत्‍तरी:

    विनेश फोगाट का जन्‍म कब हुआ था?

    25 अगस्‍त 1994

    विनेश फोगाट का जन्‍म कहां हुआ था?

    हरियाणा के बलाली में।

    विनेश फोगाट के पिता का क्‍या नाम है?

    विनोद फोगाट

    विनेश फोगाट के माता का क्‍या नाम है?

    सरला देवी

    विनेश फोगट टू गीता फोगट कौन है?

    गीता और बबीता फोगाट की चचेरी बहन है।

    विनेश फोगाट के पति कौन हैं?

    सोमवीर राठी

    विनेश फोगाट को अर्जुन अवार्ड कब प्रदान किया गया?

    2016 में

    विनेश फोगाट को राजीव गांधी खेल रत्‍न पुरूस्‍कार कब प्रदान किया गया?

    2020 में

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    Biography of ratan tata: रतन टाटा का जीवन परिचय रतन टाटा भारतीय उद्योग जगत के एक प्रतिष्ठित नाम है। रतन टाटा भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से थे, और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रह चुके हैं। उनका पूरा नाम रतन नवल टाटा है। वे अपने व्यवसायिक नैतिकता, परोपकार और दूरदर्शिता के लिए जाने जाते हैं। जिन्होंने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। रतन टाटा भारत में उद्योग और परोपकार के प्रतीक माने जाते हैं। उनका जीवन सादगी, परिश्रम, और मानवता की सेवा के लिए समर्पित है। हमारे आज के इस पोस्‍ट में रतन टाटा के जीवन के बारे में जानेगें।

    Biography of ratan tata: रतन टाटा का संक्ष्प्ति परिचय

    नामरतन टाटा
    पूरा नामरतन नवल टाटा
    जन्‍म तिथिजन्म 28 दिसंबर 1937
    जन्‍म स्‍थानमुबंई
    पिता का नामनवल टाटा
    मां का नामसोनू टाटा
    राष्‍ट्रीयताभारतीय
    धर्मपारसी
    टाटा समूह में कैरियर की शुरूआत1962 में
    पद्म भूषण2000
    पद्म विभूषण2008
    निधन09 अक्‍टूबर 2024
    आयु86 वर्ष
    Biography of ratan tata: रतन टाटा का जीवन परिचय

    रतन टाटा का प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा

    Biography of ratan tata: रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वे टाटा परिवार की तीसरी पीढ़ी से हैं और जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित टाटा समूह की धरोहर को नई ऊंचाइयों पर ले गए हैं। उनके पिता का नाम नवल टाटा था और माँ का नाम सोनू टाटा। रतन टाटा का जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहा, और उन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से समाज पर गहरा प्रभाव डाला।

    रतन टाटा का पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया। क्योंकि उनके माता-पिता बचपन में ही अलग हो गए थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई और बाद में बिशप कॉटन स्कूल, शिमला से की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका की यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में ग्रेजुएशन की और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।

    रतन टाटा का कैरियर

    Biography of ratan tata: 1962 में रतन टाटा ने टाटा समूह में एक सामान्य कर्मचारी के रूप में काम शुरू किया। उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम किया और विभिन्न कठिनाइयों का सामना किया। अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर उन्होंने टाटा समूह में अपनी पहचान बनाई। रतन टाटा ने टाटा समूह के साथ अपने करियर की शुरुआत की और टाटा स्टील में ग्राउंड लेवल पर काम करना शुरू किया।

    उन्होंने कठिन मेहनत और अपनी लगन से कंपनी में विभिन्न भूमिकाएं निभाईं और अपने कौशल को साबित किया। 1991 में, उन्हें टाटा समूह का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया, जिनमें टाटा मोटर्स, टाटा टी, टाटा स्टील और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी कंपनियां शामिल हैं।

    रतन टाटा ने टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर भी पहचान दिलाई। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जैसे कि ब्रिटिश स्टील निर्माता कोरस और जगुआर-लैंड रोवर का अधिग्रहण, जिसने टाटा को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान दी। 2008 में, उन्होंने टाटा नैनो नामक दुनिया की सबसे किफायती कार को लॉन्च किया, जिसे “लोगों की कार” के रूप में जाना जाता है।

    रतन टाटा का व्यक्तिगत जीवन और आदर्श

    Biography of ratan tata: रतन टाटा एक सरल और विनम्र व्यक्ति माने जाते हैं। वे कभी विवाह नहीं कर पाए और कहते हैं कि उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब उन्होंने विवाह का विचार किया था, लेकिन परिस्थितियों के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका। वे अपने पालतू कुत्तों से बेहद प्रेम करते हैं और एक शांतिप्रिय जीवन जीना पसंद करते हैं।

    रतन टाटा एक सरल और विनम्र व्यक्ति माने जाते हैं। वे अविवाहित हैं और अपने जीवन में समाज की सेवा और व्यवसाय के प्रति समर्पित रहे हैं। जिन्होंने हमेशा समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दी है।

    रतन टाटा का जीवन और करियर युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जो यह दर्शाता है कि कड़ी मेहनत, नैतिकता और समाज के प्रति दायित्व के साथ एक सफल और संतुलित जीवन जिया जा सकता है। आज, रतन टाटा भारतीय समाज में एक आदर्श माने जाते हैं और उनके विनम्र स्वभाव और परोपकारी दृष्टिकोण के कारण लोग उन्हें बेहद सम्मान देते हैं।

    उपलब्धियां और टाटा समूह में योगदान

    Biography of ratan tata: 1961 में, रतन टाटा ने टाटा समूह के साथ काम करना शुरू किया और शुरुआत में टाटा स्टील के साथ जुड़े। वहाँ उन्होंने ब्लू-कॉलर कामों से शुरुआत की, जिसमें वह अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर स्टील प्लांट में कार्यरत रहे। 1991 में जे.आर.डी. टाटा के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद रतन टाटा को टाटा समूह का अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने इस पद पर रहते हुए कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।

    सेवानिवृत्ति और परोपकार

    Biography of ratan tata: रतन टाटा ने 2012 में टाटा समूह के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्त हो गए। इसके बाद भी वे टाटा ट्रस्ट और टाटा फाउंडेशन के जरिए समाज सेवा और परोपकार में सक्रिय हैं। उन्होंने कई स्टार्टअप्स में भी निवेश किया है और युवाओं को प्रेरित किया है। रतन टाटा का मानना है कि उद्योग और व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य समाज को बेहतर बनाना है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत धन से कई परोपकारी कार्यों में योगदान दिया है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में। उन्होंने भारत में कैंसर रिसर्च, हॉस्पिटल निर्माण, और बच्चों के लिए शिक्षा में भी अपना योगदान दिया है।

    पुरस्कार और सम्मान

    Biography of ratan tata: रतन टाटा को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें भारत सरकार द्वारा दिए गए पद्म भूषण और पद्म विभूषण प्रमुख हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें विश्व स्तर पर भी कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं।

    रतन टाटा आज भी भारतीय उद्योग जगत के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं और उनकी विनम्रता, परोपकार और नेतृत्व क्षमता सभी के लिए आदर्श हैं। रतन टाटा का जीवन प्रेरणादायक है और उन्होंने अपने जीवन में कई लोगों को अपने आदर्शों और कार्यों से प्रेरित किया है। उनका जीवन दर्शन यह है कि उद्योग और व्यवसाय को सामाजिक उत्तरदायित्व के साथ जोड़कर ही समाज का समग्र विकास किया जा सकता है।

    रतन टाटा का निधन

    Biography of ratan tata: भारतीय उद्योग जगत के एक महान उद्योगपति रतन टाटा का 09 अक्‍टूूूबर 2024 को 86 वर्ष की आयु में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया।

    निष्कर्ष

    Biography of ratan tata: रतन टाटा एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने भारतीय उद्योग जगत में अपनी पहचान बनाई है और समाज सेवा में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनके आदर्शों और कार्यों से प्रेरणा लेकर अनगिनत लोग अपने जीवन में आगे बढ़ रहे हैं। उनकी सादगी, विनम्रता, और मानवता की भावना उन्हें एक महान व्यक्तित्व बनाती है।

    Biography of ratan tata: रतन टाटा का जीवन परिचय

    FAQS-

    1. रतन टाटा का जन्‍म कब हुआ था?

    28 दिसम्‍बर 1937 ।

    2. रतन टाटा का पूरा नाम क्‍या है?

    रतन नवल टाटा।

    3. रतन टाटा के पिता का क्‍या नाम था?

    नवल टाटा ।

    4. रतन टाटा के मां का क्‍या नाम था?

    सोनू टाटा।

    5. रतन टाटा ने टाटा समूह में अपने कैरियर की शुरूआत कब की थी?

    सन 1962 में ।

    6. रतन टाटा को पद्म भूषण से कब सम्‍मानित किया गया था?

    2000 में।

    7. रतन टाटा को पद्म विभूषण से कब सम्‍मानित किया गया था?

    2008 में।

    8. रतन टाटा का निधन कब हुआ?

    09 अक्‍टूबर 2024 को।

    9. रतन टाटा किस धर्म के थे?

    पारसी।

    10. टाटा का दूसरा नाम क्‍या है?

    Tisco टिस्‍को ।

    11. Tisco टिस्‍को का पूरा नाम क्‍या है? .

    टाटा आयरन एण्‍ड स्‍टील कंपनी।

    ATM KYA HAI यह कैसे काम करता है।

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    ATM KYA HAI यह कैसे काम करता है।

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    ATM KYA HAI इसका पूरा नाम क्‍या है?

    ATM KYA HAI : ATM एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जो बैंकिंग सेवाओं को स्वचालित रूप से प्रदान करता है। एटीएम के माध्यम से आप पैसे निकाल सकते हैं, बैंक बैलेंस चेक कर सकते हैं, पैसे जमा कर सकते हैं, और कभी-कभी अन्य बैंकिंग सेवाओं का लाभ भी उठा सकते हैं। यह मशीन 24/7 घंटे उपलब्ध रहती है, जिससे ग्राहकों को बैंक के कार्यालय की सीमित समय-सारणी से बाहर भी सेवा मिलती है।

    एटीएम (एटीएम) का पूरा नाम “एटोमेटेड टेलर मशीन” है। इसका उपयोग करने के लिए, आपको अपनी एटीएम कार्ड और पिन नंबर की आवश्यकता होती है। एटीएम कार्ड आपके बैंक खाते से जुड़ा होता है, और पिन नंबर सुरक्षा के लिए होता है। आज के इस पोस्‍ट ATM KYA HAI में ATM की पूरी जानकारी प्राप्‍त करने वाले है।

    ATM की स्‍थापना कब हुई थी?

    ATM की स्‍थापना कब हुई थी? इसकी जानकारी इस ATM KYA HAI के माध्‍यम से जानने वाले है……

    (एटोमेटेड टेलर मशीन) का अविष्‍कार 1960 के दशक में हुआ था। इसका पहला एटीएम 1967 में इंग्लैंड के लंदन स्थित बार्कलेज बैंक (Barclays Bank) द्वारा स्थापित किया गया था। इस एटीएम को इजाको (John Shepherd-Barron) ने डिजाइन किया था।

    इसके अलावा, एटीएम की तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अन्य व्यक्तियों में लुइस लुइस (James Goodfellow) और डेविड सोलोमन (David Solomons) भी शामिल हैं। James Goodfellow ने एटीएम कार्ड के लिए पिन नंबर प्रणाली को विकसित किया, जो एटीएम के सुरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

    ATM कैसे काम करता है?

    ATM कैसे काम करता है? आज के इस पोस्‍ट ATM KYA HAI के माध्‍यम से जानने वाले है……

    एटीएम (एटोमेटेड टेलर मशीन) का कामकाज बहुत ही सरल और प्रभावशाली होता है। यहाँ इसके काम करने की प्रक्रिया को स्टेप-बाय-स्टेप समझाया गया है:

    1. सुपरविजन और प्रमाणीकरण:
      • उपयोगकर्ता अपनी एटीएम कार्ड मशीन में डालता है और पिन नंबर एंटर करता है। पिन नंबर एक सुरक्षा कोड है जो उपयोगकर्ता की पहचान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत व्यक्ति ही बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच सके।
    2. प्रोसेसिंग:
      • एटीएम मशीन बैंक से जुड़े नेटवर्क से कनेक्ट होती है। पिन और कार्ड की जानकारी बैंक के सर्वर को भेजी जाती है, जो इसका वेरिफिकेशन करता है। अगर पिन सही होता है और कार्ड मान्य होता है, तो उपयोगकर्ता को एटीएम का मुख्य मेनू देखने को मिलता है।
    3. सेवा चयन:
      • उपयोगकर्ता मेनू से अपनी इच्छित सेवा (जैसे, कैश निकालना, बैलेंस चेक करना, आदि) चुनता है।
    4. लेन-देन प्रक्रिया:
      • अगर उपयोगकर्ता पैसे निकालना चाहता है, तो वह राशि निर्दिष्ट करता है। एटीएम मशीन उस राशि के अनुरूप नोट को सुरक्षित तरीके से वितरित करती है।
    5. लेन-देन का वेरिफिकेशन:
      • मशीन बैंक के सर्वर से लेन-देन की पुष्टि प्राप्त करती है। यदि खाते में पर्याप्त धनराशि है और अन्य सभी शर्तें पूरी होती हैं, तो लेन-देन पूरा होता है।
    6. प्रिंटिंग और रसीद:
      • लेन-देन की पुष्टि के बाद, एटीएम रसीद प्रिंट करता है, जिसमें लेन-देन की जानकारी (जैसे, निकासी राशि, खाता बैलेंस) होती है।
    7. कार्ड वापसी और लेन-देन समाप्ति:
      • लेन-देन पूरा होने के बाद, एटीएम कार्ड को वापस करता है और उपयोगकर्ता को कैश, रसीद, और कार्ड प्रदान करता है। उपयोगकर्ता के लिए एटीएम की स्क्रीन पर लेन-देन की पुष्टि होती है।
    8. डेटा सुरक्षा और लॉगिंग:
      • सभी लेन-देन की जानकारी बैंक के सर्वर पर लॉग की जाती है, जिससे किसी भी धोखाधड़ी की निगरानी की जा सके।

    इस तरह, एटीएम स्वचालित तरीके से बैंकिंग सेवाओं को प्रदान करता है, जिससे ग्राहकों को सुविधाजनक और त्वरित सेवाएं मिलती हैं।

    ATM का पहला प्रयोग कहां किया गया था?

    ATM KYA HAI : पहला एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) 27 जून 1967 को लंदन, इंग्लैंड में प्रयोग में लाया गया था। इसे बैंक ऑफ स्कॉटलैंड के द्वारा उपयोग में लाया गया था और इसे ‘डिस्काउंट बॉन्ड’ नामक मशीन के रूप में जाना जाता था। इस मशीन को बनाने वाले प्रमुख व्यक्ति इंजीनियर जॉन शेफर्ड-बैरोन थे। यह एटीएम मशीन नकदी निकालने के लिए एक नई सुविधा लेकर आई थी और इसने बैंकिंग क्षेत्र में क्रांति ला दी। तब से आज तक के इतिहास में बैंंकिंग के क्षेत्र में अहम भूमिका है।

    ATM कितने प्रकार के होते है?

    ATM KYA HAI : एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) के कई प्रकार होते हैं, जो उनकी कार्यक्षमता और उपयोग के आधार पर विभाजित किए जाते हैं। एटीएम के मुख्य प्रकार निम्‍नलिखित हैं:

    1. स्टैंडर्ड एटीएम: ये सबसे सामान्य प्रकार के एटीएम हैं, जो कैश निकालने, बैंक बैलेंस चेक करने, मिनी स्टेटमेंट प्राप्त करने और डिपॉजिट करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
    2. कैश डिपॉजिट एटीएम: इन्हें विशेष रूप से कैश डिपॉजिट के लिए डिजाइन किया गया है। ये मशीनें नोट और कभी-कभी सिक्के भी जमा कर सकती हैं और तुरंत खाते में क्रेडिट कर देती हैं।
    3. कस्टम एटीएम: ये एटीएम कुछ विशिष्ट सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे कि चेक डिपॉजिट, या बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण जैसे अतिरिक्त सुरक्षा उपाय।
    4. वर्ल्डवाइड एटीएम: ये एटीएम अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए डिजाइन किए गए हैं और विभिन्न मुद्राओं में कैश निकालने की सुविधा प्रदान करते हैं।
    5. मल्टी-फंक्शन एटीएम: ये एटीएम कई कार्यों को एक साथ अंजाम दे सकते हैं, जैसे कि बिल भुगतान, प्रीपेड कार्ड रिचार्ज, और वित्तीय उत्पादों की जानकारी देना।
    6. वेतन भुगतान एटीएम: कुछ एटीएम विशेष रूप से वेतन या अन्य नियमित भुगतानों को स्वचालित रूप से वितरित करने के लिए होते हैं।
    7. कंटैक्टलेस एटीएम: ये आधुनिक एटीएम हैं जो कार्ड को मशीन में डालने की बजाय, कार्ड को नजदीक लाकर लेनदेन पूरा करते हैं, जिससे प्रक्रिया तेजी से और सुरक्षित तरीके से की जा सकती है।

    हर एटीएम का डिज़ाइन और कार्यक्षमता बैंकों की जरूरतों और उपयोगकर्ताओं की सुविधाओं के अनुसार भिन्न हो सकती है।

    ATM के क्‍या क्‍या फायदे है?

    ATM KYA HAI : एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) के कई फायदे हैं जो बैंकिंग प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:

    1. सुविधाजनक पहुँच: एटीएम आपको बैंकिंग सेवाओं तक 24/7 पहुँच प्रदान करते हैं, जिससे आप किसी भी समय कैश निकाल सकते हैं, बैलेंस चेक कर सकते हैं, और अन्य लेनदेन कर सकते हैं।
    2. कैश की तुरंत उपलब्धता: आप किसी भी समय और दिन के किसी भी समय कैश निकाल सकते हैं, बिना बैंक के कार्यकाल के विचार किए।
    3. स्वतंत्रता और आत्म-सेवा: एटीएम आपको बैंकिंग सेवाओं का स्वायत्त उपयोग करने की सुविधा देते हैं, जिससे आपको बैंक शाखा में जाने की आवश्यकता नहीं होती।
    4. कई प्रकार की सेवाएं: आजकल के आधुनिक एटीएम कैश निकालने के अलावा, कैश जमा करने, बिल भुगतान, मोबाइल रिचार्ज, और मिनी स्टेटमेंट जैसे अन्य सुविधाएं भी प्रदान करते हैं।
    5. कम लाइन और समय की बचत: एटीएम पर उपयोगकर्ता की लाइनें कम होती हैं और बैंक शाखा के मुकाबले कम समय लगता है, जिससे आपकी बेशकीमती समय की बचत होती है।
    6. सुरक्षित लेनदेन: आधुनिक एटीएम में सुरक्षा उपाय जैसे पिन कोड, बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, और सिक्योरिटी फीचर्स होते हैं, जो लेनदेन को सुरक्षित बनाते हैं।
    7. बिल्कुल मुफ्त सेवाएं: कई एटीएम बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के कैश निकालने या अन्य बुनियादी सेवाएं प्रदान करते हैं, विशेषकर यदि आप उसी बैंक के एटीएम का उपयोग करते हैं।
    8. विविधता और पहुँच: एटीएम नेटवर्क आमतौर पर बहुत व्यापक होते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को विभिन्न स्थानों पर एटीएम की उपलब्धता होती है।
    9. अंतर्राष्ट्रीय उपयोग: कई एटीएम अंतरराष्ट्रीय कार्डों को स्वीकार करते हैं, जिससे विदेश यात्रा के दौरान भी पैसे निकालना आसान हो जाता है।
    10. दस्तावेज़ीकरण और ट्रैकिंग: एटीएम लेनदेन की रसीदें प्रदान करते हैं, जिससे आप अपने वित्तीय लेनदेन को ट्रैक कर सकते हैं और रिकॉर्ड रख सकते हैं।

    इन फायदों के चलते, एटीएम ने बैंकिंग के अनुभव को काफी सरल और सुलभ बना दिया है।

    ATM के क्‍या क्‍या नुकसान है?

    ATM KYA HAI : एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) के कई लाभ हैं, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख नुकसान दिए गए हैं:

    1. सुरक्षा की समस्याएँ: एटीएम कार्ड की स्किमिंग, कार्ड क्लोनिंग और फिशिंग जैसे साइबर अपराधों के खतरे होते हैं। कुछ अपराधी एटीएम के पास स्किमिंग डिवाइसेस लगाकर आपकी जानकारी चुराने की कोशिश कर सकते हैं।
    2. सामाजिक अपराध: रात के समय या सुनसान जगह पर एटीएम का उपयोग करते समय अपराध का जोखिम बढ़ जाता है, जैसे लूटपाट या शारीरिक हमले।
    3. तकनीकी समस्याएँ: एटीएम तकनीकी खराबियों का सामना कर सकते हैं, जैसे कि मशीन का न चलना, कैश की कमी, या कार्ड फंस जाना। इससे आपको बैंक शाखा की ओर जाना पड़ सकता है।
    4. अधिक शुल्क: यदि आप अपने बैंक के एटीएम के अलावा अन्य बैंकों के एटीएम का उपयोग करते हैं, तो आपको अतिरिक्त लेनदेन शुल्क का सामना करना पड़ सकता है।
    5. लिमिटेशन: एटीएम से एक बार में निकाले जाने वाले कैश की मात्रा पर सीमा होती है। बड़ी रकम निकालने के लिए आपको कई लेनदेन करने की आवश्यकता हो सकती है।
    6. गोपनीयता का उल्लंघन: सार्वजनिक एटीएम पर दूसरों की उपस्थिति के कारण आपकी लेनदेन की गोपनीयता प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, यदि कोई आपके पास खड़ा हो और आपके पिन को देखे, तो आपकी सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
    7. सर्विस की कमी: कुछ एटीएम में केवल सीमित सेवाएं होती हैं, जैसे कि केवल कैश निकालना, और आप कैश जमा करने या अन्य सेवाओं के लिए बैंक शाखा में ही जा सकते हैं।
    8. वित्तीय प्रबंधन की कमी: एटीएम का उपयोग वित्तीय प्रबंधन में पूरी तरह से मददगार नहीं हो सकता, जैसे कि बजट प्रबंधन या वित्तीय सलाह।
    9. भौगोलिक पहुंच की कमी: ग्रामीण या दूरदराज के इलाकों में एटीएम की उपलब्धता सीमित हो सकती है, जिससे उन क्षेत्रों के निवासियों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
    10. सिस्टम फॉल्ट्स: कभी-कभी एटीएम सिस्टम में तकनीकी खामियां हो सकती हैं, जिससे ट्रांजेक्शन फेल हो सकते हैं या आपकी जानकारी गुम हो सकती है।

    इन नुकसानों को ध्यान में रखते हुए, एटीएम का उपयोग करते समय सतर्कता बरतना और सुरक्षा के उपाय अपनाना महत्वपूर्ण होता है।

    ATM का उपयोग करते समय क्‍या क्‍या सावधानियां रखनी चाहिए?

    ATM KYA HAI : एटीएम का उपयोग करते समय सुरक्षा और सावधानी बरतना बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए:

    1. गोपनीयता बनाए रखें: जब आप एटीएम का उपयोग करें, सुनिश्चित करें कि कोई आपकी पिन या अन्य जानकारी देख न सके। टाइप करते समय अपनी पिन को छुपाएं और दूसरों से दूर रहें।
    2. एटीएम की सुरक्षा जांचें: एटीएम का उपयोग करने से पहले मशीन की स्थिति की जांच करें। सुनिश्चित करें कि कोई स्किमिंग डिवाइस या अन्य संदिग्ध उपकरण मशीन पर न लगे हों।
    3. सुरक्षित स्थान पर उपयोग करें: यदि संभव हो, तो ऐसी एटीएम का उपयोग करें जो अच्छी तरह से रोशनी और व्यस्त क्षेत्रों में स्थित हों। सार्वजनिक स्थानों पर सावधानी रखें, खासकर रात के समय।
    4. पिन बदलें नियमित रूप से: अपनी पिन को नियमित रूप से बदलें और उसे किसी के साथ साझा न करें। एक मजबूत पिन चुनें जो आसान न हो और सिर्फ अंकों का उपयोग न करें।
    5. मशीन को नजर में रखें: लेन-देन पूरा होने के बाद, सुनिश्चित करें कि कार्ड और रसीद आपकी जेब में सुरक्षित हैं। कभी-कभी एटीएम कार्ड वापस नहीं आता या रसीद निकल जाती है।
    6. विवेकपूर्ण तरीके से कार्य करें: यदि एटीएम में कोई समस्या या असामान्यता महसूस हो, तो लेन-देन न करें और तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें।
    7. किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करें: यदि आपको एटीएम के आस-पास कोई संदिग्ध गतिविधि या किसी व्यक्ति की असामान्य गतिविधि दिखे, तो तुरंत बैंक या सुरक्षा बल को सूचित करें।
    8. ऑनलाइन सुरक्षा: यदि आप मोबाइल या ऑनलाइन बैंकिंग का उपयोग कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके उपकरण और नेटवर्क सुरक्षित हों। सार्वजनिक Wi-Fi का उपयोग करते समय सतर्क रहें।
    9. फ्रॉड अलर्ट: अपने बैंक की किसी भी सुरक्षा सूचना या अलर्ट को ध्यान से पढ़ें और पालन करें। यदि आप किसी भी अनधिकृत लेन-देन का संज्ञान लेते हैं, तो तुरंत अपने बैंक को सूचित करें।
    10. कार्ड और खाते की निगरानी: नियमित रूप से अपने खाते का बयान और एटीएम लेन-देन की जाँच करें। किसी भी अनधिकृत लेन-देन या भ्रामक गतिविधि की स्थिति में तुरंत कार्रवाई करें।

    इन सुरक्षा उपायों को अपनाकर आप एटीएम के उपयोग को सुरक्षित और प्रभावी बना सकते हैं।

    ATM सेवा प्रदाता कंपनी कौन कौन सी हैं?

    ATM KYA HAI : एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) सेवा प्रदाता कंपनियाँ आमतौर पर बैंकों, वित्तीय संस्थानों और एटीएम प्रबंधन कंपनियों के रूप में होती हैं। भारत और अन्य देशों में कई प्रमुख कंपनियाँ एटीएम सेवाएं प्रदान करती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख एटीएम सेवा प्रदाताओं की सूची दी गई है:

    बैंक एटीएम सेवा प्रदाता

    1. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI): भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक, जो व्यापक एटीएम नेटवर्क प्रदान करता है।
    2. पंजाब नेशनल बैंक (PNB): बड़े पैमाने पर एटीएम सेवाएं प्रदान करने वाला एक प्रमुख बैंक।
    3. हिंदुस्तान एंटरप्राइजेज बैंक (HDFC बैंक): व्यापक एटीएम नेटवर्क के साथ एक प्रमुख प्राइवेट सेक्टर बैंक।
    4. आईसीआईसीआई बैंक: प्राइवेट सेक्टर में प्रमुख एटीएम सेवा प्रदाता।
    5. बैंक ऑफ बड़ौदा: भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक जो एटीएम सेवाएं प्रदान करता है।
    6. येस बैंक: प्राइवेट सेक्टर बैंक जो एटीएम सेवाएं भी प्रदान करता है।
    7. कोटक महिंद्रा बैंक: प्राइवेट बैंक जो एटीएम सेवाओं के लिए जाना जाता है।

    एटीएम प्रबंधन कंपनियां

    1. ईगल (Eagle) – एटीएम सेवा प्रदाता: भारतीय बाजार में एटीएम प्रबंधन और संचालन में सक्रिय।
    2. ईजीएल (EGL): एटीएम मशीनों के प्रबंधन और सेवाओं में विशेष कंपनियाँ।
    3. एपेक्स (APEX): एटीएम प्रबंधन सेवाएं प्रदान करने वाली एक प्रमुख कंपनी।
    4. सीआईटीआई (Citi): एटीएम नेटवर्क और सेवाएं प्रदान करने के लिए एक प्रमुख प्रदाता।

    अन्य प्रमुख एटीएम नेटवर्क प्रदाता

    1. एनईटीवर्क (NFS): नेटवर्क फॉर सर्विसेस, एक प्रमुख एटीएम नेटवर्क प्रदाता।
    2. वर्ल्डलाइन (Worldline): एक अंतरराष्ट्रीय एटीएम और पेमेंट सॉल्यूशंस प्रदाता।
    3. विजा (VISA) और मास्टरकार्ड (MasterCard): एटीएम नेटवर्क के लिए कार्ड और ट्रांजेक्शन सॉल्यूशंस प्रदान करते हैं।

    ATM KYA HAI : ये कंपनियाँ और संस्थान एटीएम सेवाओं के संचालन, प्रबंधन और सुरक्षा में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, और उनके एटीएम नेटवर्क ग्राहकों को सुविधाजनक और सुरक्षित लेनदेन की सुविधा प्रदान करते हैं।

    ATM सेवाएं कौन प्रदान करता है?

    ATM KYA HAI : एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) सेवाएं विभिन्न प्रकार के प्रदाता और संस्थान प्रदान करते हैं। इनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

    1. बैंक

    • पब्लिक सेक्टर बैंक: जैसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा, और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया। ये बैंक व्यापक एटीएम नेटवर्क प्रदान करते हैं।
    • प्राइवेट सेक्टर बैंक: जैसे आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, और यस बैंक। ये बैंकों के एटीएम और एटीएम सेवाएं भी उपलब्ध कराते हैं।

    2. एटीएम नेटवर्क प्रदाता कंपनियाँ

    • नेटवर्क फॉर सर्विसेस (NFS): भारतीय एटीएम नेटवर्क के प्रमुख प्रदाताओं में से एक है।
    • साइटेल (Sitel) और बिज़नस (Business): कुछ अन्य एटीएम नेटवर्क प्रदाता जो एटीएम और बैंकिंग सेवाएं प्रबंधित करते हैं।

    3. एटीएम प्रबंधन कंपनियाँ

    • ईगल (Eagle) और एपेक्स (APEX): एटीएम प्रबंधन और संचालन में विशेष कंपनियाँ जो बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के लिए एटीएम सेवाएँ प्रदान करती हैं।
    • सिस्को (Cisco): एटीएम और भुगतान सॉल्यूशंस प्रबंधन में सक्रिय।

    4. कार्ड और पेमेंट सॉल्यूशन कंपनियाँ

    • विजा (VISA) और मास्टरकार्ड (MasterCard): ये कंपनियाँ एटीएम कार्ड और लेनदेन के लिए नेटवर्क और सॉल्यूशंस प्रदान करती हैं, जो बैंकों द्वारा एटीएम सेवाओं में उपयोग होते हैं।

    5. फिनटेक कंपनियाँ

    • वर्ल्डलाइन (Worldline) और एप्टेक (Aptik): ये फिनटेक कंपनियाँ एटीएम नेटवर्क और डिजिटल भुगतान सेवाओं के प्रबंधन में भूमिका निभाती हैं।

    6. एटीएम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर निर्माता

    • नोकिया (Nokia), एचपी (HP), और एचसीएल (HCL): ये कंपनियाँ एटीएम मशीनों के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की आपूर्ति और रखरखाव करती हैं।

    7. रिटेल और वाणिज्यिक संस्थान

    • कुछ बड़े रिटेल चेन और व्यावसायिक संगठन एटीएम सेवाओं की पेशकश करते हैं, जो विशेष एटीएम नेटवर्क से जुड़े होते हैं।

    ATM KYA HAI : इन प्रदाताओं के माध्यम से एटीएम सेवाएँ विभिन्न प्रकार की बैंकिंग सुविधाएं, जैसे कैश निकालना, बैलेंस चेक करना, और अन्य लेनदेन सेवाएं प्रदान करती हैं। इन सेवाओं की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न संस्थान मिलकर काम करते हैं।

    ATM कौन सी देश की कंपनी है?

    ATM KYA HAI : एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) स्वयं एक प्रकार की मशीन है और इसका स्वामित्व या निर्माण किसी एक देश की कंपनी के पास नहीं होता। हालांकि, एटीएम बनाने और प्रबंधन करने वाली प्रमुख कंपनियाँ विभिन्न देशों की हैं। यहाँ कुछ प्रमुख एटीएम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनियाँ और उनके देश:

    1. NCR Corporation

    • देश: अमेरिका
    • विशेषता: एटीएम और खुदरा वित्तीय समाधानों के प्रमुख निर्माता।

    2. Diebold Nixdorf

    • देश: अमेरिका (Diebold) और जर्मनी (Nixdorf)
    • विशेषता: एटीएम, खुदरा समाधान और बैंकिंग प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता।

    3. Wincor Nixdorf

    • देश: जर्मनी
    • विशेषता: एटीएम और खुदरा बैंकिंग उपकरणों का निर्माता (अब Diebold Nixdorf में विलय हो चुका है)।

    4. GRG Banking

    • देश: चीन
    • विशेषता: एटीएम और वित्तीय उपकरणों के प्रमुख निर्माता।

    5. Hyosung

    • देश: दक्षिण कोरिया
    • विशेषता: एटीएम और खुदरा बैंकिंग समाधान।

    6. Fujitsu

    • देश: जापान
    • विशेषता: एटीएम और सूचना प्रौद्योगिकी समाधान का निर्माता।

    ATM KYA HAI : इन कंपनियों के अलावा, विभिन्न देशों में स्थानीय और क्षेत्रीय एटीएम निर्माता और प्रबंधन कंपनियाँ भी होती हैं। एटीएम की सुविधा और सेवाएँ विभिन्न देशों में अलग-अलग कंपनियों और बैंकों द्वारा प्रदान की जाती हैं, जो अपने-अपने क्षेत्रों में एटीएम की आपूर्ति और प्रबंधन करती हैं।

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    Dr. Khubchand Baghel Ka Jeevan Parichay: डॉ. खूबचंद बघेल का जीवन परिचय

    Dr. Khubchand Baghel Ka Jeevan Parichay: डॉ. खूबचंद बघेल का जीवन परिचय

    Dr. Khubchand Baghel Ka Jeevan Parichay: डॉ. खूबचंद बघेल की जीवनी

    Dr. Khubchand Baghel Ka Jeevan Parichay:  दोस्‍तों आज हम बताने जा रहे हैं, छत्‍तीसगढ़ के एक  महान विभूति के बारे में जिसका नाम है। डॉ. खूबचंद बघेल (Dr. Khubchand Baghel) इनके नाम से छत्तीसगढ़ का शायद ही कोई नागरिक परिचित नहीं होगा। डॉ. खूबचंद बघेल जिन्‍होने आजादी के लड़ाई से लेकर सामाजिक कार्यो के लिए कई महान कार्य किये इन्‍ही महान क्रांतिकारी सपूतों के बदौलत छत्तीसगढ़ को ना सिर्फ हमारे देश में एक पहचान मिली बल्कि विदेशों में भी छत्तीसगढ़ का नाम रोशन हुआ। आज के इस पोस्‍ट Dr. Khubchand Baghel Ka Jeevan Parichay में उनके बारे में विस्‍तार से जानेगें।

    डॉ. खूबचंद बघेल का संक्षिप्‍त विवरण Dr. Khubchand Baghel Ka Jeevan Parichay:

    नामडॉ. खूबचंद बघेल (Dr. Khubchand Baghel)
    जन्‍म तिथि19 जुलाई 1900
    जन्‍म स्‍थानरायपुर के पथरी नाम गांव में
    पिता का नामजुड़ावन सिंह
    माता का नामकेतकी बाई
    पत्नि का नामराजकुंवर
    शैक्षणिक योग्‍यताएल. एम. पी. (बाद में सरकार द्वारा एम.बी.बी.एस. का दर्जा दिया गया)
    रचनाऊँच-नींच, करम-छंडहा, जनरैल सिंह, भारतमाता
    निधन22 फरवरी 1969

    डॉ. खूबचंद बघेल का जन्‍म Dr. Khubchand Baghel Ka Jeevan Parichay:

    Dr. Khubchand Baghel Ka Jeevan Parichay: डॉ खूबचंद बघेल का जन्म 19 जुलाई सन् 1900 को रायपुर के पथरी नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री जुड़ावन सिंह तथा माता का श्रीमती केतकी बाई था।

    डॉ. खूबचंद बघेल की शिक्षा

    डॉ. खूबचंद बघेल की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राइमरी स्कूल में हुआ। और आगे की पढ़ाई के लिए उन्‍हे रायपुर के सरकारी स्‍कूल में दाखिला करवाया गया जहां से उन्‍होने अपनी मैट्रिक की शिक्षा पूरी की उसके बाद उन्होंने नागपुर के रॉबर्ट्सन मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। उसी बीच देशभर में चलने वाले असहयोग आंदोलन के प्रभाव में आकर उन्‍होने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और आंदोलन में शामिल हो गये। बाद में घर वालों के समझाईस देने के उपरांत उन्‍होने  फिर से एल.एम.पी. (लेजिस्लेटिव मेडिकल प्रक्टिसनर) नागपुर में दाखिला लिया और सन् 1923 में एल.एम.पी. की परीक्षा उर्त्‍तीण की जिसे बाद में सरकार द्वारा (एल.एम.पी.) को एम.बी.बी.एस. का दर्जा दिया गया। 

    डॉ. खूबचंद बघेल का विवाह एवं संतान

    Dr. Khubchand Baghel Ka Jeevan Parichay: डॉ. खूबचंद बघेल का विवाह कम उम्र में ही कर दिया गया था, वे सिर्फ 10 वर्ष के थे और अपनी प्राथमिक कक्षा की पढ़ाई कर रहे थे। उसी समय उनका विवाह उनसे 3 साल छोटी कन्या राजकुँवर से करा दिया गया था। उनकी पत्नी राजकुँवर से 3 पुत्रियाँ पार्वती, राधा और सरस्वती का जन्म हुआ। बाद में उन्होंने पुत्र मोह के कारण डॉ. भारत भूषण बघेल को गोद लिया था।

    डॉ. खूबचंद बघेल का राजनीतिक सफर

    Dr. Khubchand Baghel Ka Jeevan Parichay: डॉ. खूबचंद बघेल ने सन् 1923 में झण्डा सत्याग्रह में भाग लिया था, वे  सन् 1925 से 1931 तक शासकीय चिकित्सक के पद पर कार्य करते हुए वे छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय नेताओं के संपर्क में आये और सन् 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में वन कानून का उलंघन करते हुए वे सरकारी कर्मचारी होते हुए भी 10 अक्टूबर 1930 को सत्याग्रहियों का साथ दिया एवं उनका नेतृत्व करने लगे, इस कारण उन्हें शासन से नोटिस मिला तो सन् 1931 में सरकारी पद त्याग कर उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश किया।

    सन् 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के द्वितीय चरण में 15 फरवरी 1932 को डॉ. खूबचंद बघेल के साथ महंत लक्ष्मीनारायण दास एवं नंदकुमार दानी भी गिरफ्तार कर लिए गए । सन् 1933 में जेल से रिहा होने के पश्चात् उन्होंने गांधीजी के आह्वान पर हरिजन उत्थान का कार्य प्रारंभ कर दिया। कांग्रेस समिति द्वारा उन्हें प्रांतीय हरिजन सेवा समिति का मंत्री नियुक्त किया गया ।

    सन् 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन प्रारंभ होते ही वे पुनः राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हो गए तथा घूम-घूम कर युद्ध विरोधी भावनाओं का प्रसार करने लगे। रायपुर तहसील से 1946 के कांग्रेस चुनाव में वे निर्विरोध चुने गए। इस तरह सन 1946 में उन्‍हे तहसील कार्यालय कार्यकारिणी के अध्यक्ष और प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया।

    स्वतंत्रता के बाद उन्हें प्रांतीय शासन ने संसदीय सचिव नियुक्त किया। 1950 में आचार्य कृपलानी के आह्वान पर वे कृषक मजदूर पार्टी में शामिल हुए। 1951 के बाद आम चुनाव में वे विधानसभा के लिए पार्टी से निर्वाचित हुए। 1965 तक विधानसभा के सदस्य रहे। 1965 में राज्यसभा के लिए चुने गए ओर राजनीति से 1968 तक जुड़े रहे। और इस तरह से उनका राजनीतिक सफर रहा।

    डॉ. खूबचंद बघेल की रचना

    Dr. Khubchand Baghel Ka Jeevan Parichay: डॉ. खूबचंद बघेल एक अच्‍छे साहित्‍कार भी थे। उनके द्वारा की गई रचनाएं इस प्रकार से है-

    1. ऊँच-नींच: ऊँच-नींच डॉ. खूबचंद बघेल द्वारा रचित एक नाटक है जिसमें छुआछूत और जातिप्रथा को कम करने के लिए इस नाटक के माध्‍यम से मंचन किया गया। 
    2. करम-छड़हा:  करम छड़हा नाटक एक आम आदमी की गाथा और बेबसी को दर्शाता है।
    3. जनरैल सिंह: इसके द्वारा छत्तीसगढ़ के दब्बूपन को दूर करने का मार्ग बताया गया है। 
    4. भारतमाता: सन् 1962 में भारत चीन युद्ध के समय इसे लिखकर मंचन कराया गया तथा चंदा इकठ्ठा कर भारत सरकार के पास भिजवाया गया।  

    डॉ. खूबचंद बघेल का निधन

    Dr. Khubchand Baghel Ka Jeevan Parichay: डॉ. खूबचंद बघेल हमेशा से छत्तीसगढ़ के विकास और छत्तीसगढ़ को एक अलग पहचान दिलाने के लिए कार्य किया, और वे हमेशा छत्तीसगढ़ के दब्बूपन को दूर करने के लिए अनेक प्रयास किये, वे हमेशा यही चाहते थे की छत्तीसगढ़ को लोग क्यों ऐसे हीन भावना से देखते है हमेशा इससे सौतेला व्यावहार क्यों करते हैं बस इन्ही बातों की चिंता उन्हें सताते रहती थी। जातिगत भेदभाव, कुरीतियों को मिटाने वाले इस महान व्यक्ति का निधन संसद के शीतकालीन सत्र के लिए भाग लेने दिल्ली गए हुए थे वहाँ दिल का दौरा पड़ने से उनकी आकस्मिक निधन 22 फरवरी 1969 को हो गया। 

    KABIRDAS KE DOHE: कबीरदास जी के 10 अनमोल दोहे

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    KABIRDAS KE DOHE: कबीरदास जी के 10 अनमोल दोहे

    KABIRDAS KE DOHE कबीरदास जी के अनमोल दोहे !

    KABIRDAS KE DOHE : कबीरदास जी के प्रेरणादायक दोहे

    KABIRDAS KE DOHE : संत कबीरदास जी का जन्‍म सन 1398 ईसवी में एक जुलाहा परिवार में हुआ था।  संत कबीरदास जी  15 वीं सदी के भारतीय रहस्‍यमयी कवि एवं संत थे। वे हिन्‍दी साहित्‍य के भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के ज्ञानमार्गी उपशाखा के महान कवि थे। इनके  पिता का नाम नीरू एवं माता का नाम नीमा था। संत कबीर के रचनाओं ने हिन्‍दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्‍तर तक प्रभावित किया। संत कबीर सच्‍चे भाव से ईश्‍वर में आस्‍था रखते थे। उन्‍होने सामाज में फैली अनेक कुरीतियों एवं कर्मकांड और सामाजिक बुराईयों को दूर करने के लिए महान कार्य किये। संत कबीरदास जी ने लोगो को एकता के सूत्र का पाठ पढाया।

    KABIRDAS KE DOHE : कबीर के प्रसिद्ध दोहे। अर्थ सहित

    1. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

    अर्थ:- कबीर दास जी कहते है, की जब वे बुरा मनुष्‍य को खोजने निकले तो, कोई भी उन्‍हे बुरा मानव नहीं मिला

    2. धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।

    अर्थ:- कबीर दास जी कहते है, कि मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है।

    3. चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए।

    अर्थ:- कबीर दास जी के अनुसार, चिंता एक ऐसी डाकिनी है, जो कलेजा को भी काट खा जाती है, इसका इलाज वैद्य भी नही कर सकता।

    4. साईं इतना दीजिए, जा मे कुटुम समाय।

    अर्थ:- कबीर दास जी कहते है, कि परमात्‍मा तुम मुुझे बस इतना दे दो कि बस मैं अपना गुजारा बर सकूं और आने वाले मेहमानों को भी भोजन करा सकूंं।

    KABIRDAS KE DOHE : कबीर के बहुमूल्‍य दोहे। अर्थ सहित

    5. गुरू गोविन्‍द दोउ खेड़े काके लागूं पांय।

    अर्थ:- कबीर दास जी कहते है, कि मेरे सामने गुरू और भगवान दोनों खड़ेे है, तो पहले किसका पैर छूउं कहने का तात्‍पर्य यह है। कि गुरू ने ही ईश्‍वर को जानने का रास्‍ता बताया है, तो सबसे पहले गुरू के पैर छूना चाहिए।

    6. ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोए, औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए

    अर्थ:- कबीर दास जी कहते है, कि मनुुुष्‍य को हमेशा सुदंर वाणी बोलनी चाहिए जिससे सुनने वाले का मन प्रसन्‍न हो जाए। और स्‍वयं भी प्रसन्‍न रहे।

    7. मानुष जन्‍म दुर्लभ है, मिले न बारम्‍बार तरवर से पत्‍ता टूट गिरे, बहुरि न लागे डारि।

    अर्थ:- कबीर दास जी कहते है, कि मानव जीवन बहुत ही दुर्लभ है। यह बार-बार नहीं मिलता यह जीवन वैैैसा ही है, जैसे वृृृक्ष से एक बार पत्‍ते गिर जाते है। जो दुबारा उसी डाल पर नहीं लगते। अर्थात मानव जीवन बहुत ही कठिनाई से मिलता है। एक बार मानव शरीर छूट जाने पर आसानी नहीं मिलता।

    8. जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तलवार की, पड़ी रहन दो म्‍यान।

    अर्थ:- संत कबीर दास जी कहते है, कि किसी व्‍यक्ति को उसकी जाति नहीं पूछनी चाहिए बल्कि ज्ञान की बात करनी चाहिए। क्‍योंकि असली मोल तो तलवार का होता है। म्‍यान का नहीं

    KABIRDAS KE DOHE : कबीर के बेशकीमति दोहे। अर्थ सहित

    9. कबीर, पत्‍थर पूजे हरि मिले तो मैं पूजूं पहार। तातें तो चक्‍की भली, पीस खाये संसार।

    अर्थ:- संत कबीरदास जी कहते है, कि अगर पत्‍थर की मूर्ति की पूजा करने से भगवान मिल जाते तो मैं पहाड़ की पूजा कर लेता हूं। उसकी जगह कोई घर की चक्‍की की पूजा नहीं करता जिससे आटा पीस कर लोग अपना पेट भरते है।

    10. बड़ा हुआ तो क्‍या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।

    अर्थ:- जिस प्रकार खजूर का पेड़ इतना उंचा होने बावजूद रास्‍ते में आते जाते राहगीर को छाया नहीं दे सकता। और उसके फल इतने दूर लगते है, कि कोई आसनी से तोड़ नहीं सकता। उसी प्रकार आप कितने भी बड़े आदमी बन जाओं यदि आपके अंदर विनम्रता और सादगी नहीं है। किसी की मदद करने की भावना नहीं है, तो आपके बड़ा होने का कोई अर्थ नहीं है।

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    Champai Soren Ka Jeevan Parichay चंपई सोरेन का जीवन परिचय

    Champai Soren Ka Jeevan Parichay

    Champai Soren Ka Jeevan Parichay कौन हैं चंपई सोरेन

    Champai Soren Ka Jeevan Parichay चंपई सोरेन एक भारतीय राजनेता है। और अभी 2024 में  झारखंड के वर्तमान मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ लिये है। आपको बता दें की चंपई सोरेन झारखंड राज्‍य के सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्‍व करते है। और साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा के सदस्‍य भी हैं। इससे पहले हेमंत सोरेन की सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद पर रहे है। चंपई सोरेन झारखंड राज्‍य की मांग को लेकर हुए आंदोलन में शिबू सोरेन के साथ थे। चंपई सोरेन का झारखंड राज्‍य के विकास में महत्‍वपूर्ण योगदान रहा है। और उन्‍हे झारखंड टाइगर के नाम से भी जाना जाता है।

    Champai Soren Ka Jeevan Parichay चंपई सोरेन का जन्‍म और शिक्षा

    Champai Soren Ka Jeevan Parichay चंपई सोरेन का जन्म झारखंड राज्‍य के जिलिंगगौड़ा में 11 नवंबर सन 1956 हुआ था। चंपई सोरेन के पिता का नाम स्‍वर्गीय सिमर सोरेन माता का नाम मानको सोरेन है। चंपई सोरेन एक कृषक परिवार से आते है। उन्‍होने अपनी शिक्षा सन् 1974 में जमशेदपुर स्थित राम कृष्ण मिशन हाई स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की थी और मैट्रिक की उपाधि ली है। शिक्षा के क्षेत्र में उनकी सीमित उपलब्धि के बावजूद, उनकी राजनीतिक के क्षेत्र में समझ और कार्य कुशलता का परिचय उनके लंबे राजनीतिक करियर में मिलता है।

    चंपई सोरेन का राजनीतिक जीवन

    Champai Soren Ka Jeevan Parichay चंपई सोरेन की राजनीतिक जीवन की बात करें तो सन् 1991 में उन्‍होने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत की और वे विधायक के रूप मे चुने गए किंतु चंपई सोरेन का असल राजनीतिक करियर 2005 से माना जाता है। जब वे पहली बार झारखंड की दूसरी विधानसभा के लिए चुने गए थे। उनकी अपनी राजनीतिक समझ और जनता के बीच क्षेत्रीय विकास के प्रति कार्यकुशला ने उन्हें बहुत जल्द ही एक महत्वपूर्ण राजनीतिक व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया। सन् 2009 में वे झारखंड की तीसरी विधानसभा के लिए फिर से चुने गए।

    जिसमें उन्‍होने 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी, श्रम और आवास मंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने अपने विभागों में कई महत्वपूर्ण पहल और कार्य किए। उसके बाद 13 जुलाई 2013 से 28 दिसंबर 2014 तक, वे खाद्य और नागरिक आपूर्ति, परिवहन मंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने राज्य के लोगों के लिए महत्वपूर्ण नीतियों और सुधारों का नेतृत्व किया।

    सन् 2014 में वे चौथी बार विधानसभा में पुनः चुने गए। और फिर 2019 में पांचवीं बार चुने गये जहां उन्होंने परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री के रूप में कार्य किया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने सामाजिक न्याय और विकास के विभिन्न कार्यक्रमों का आरंभ किया। इस प्रकार एक के बाद एक लगातार अपने राजनीतिक अनुभवों और जनता के बीच अपने कार्यशैली से झारखण्‍ड के जनता के लिए लोकप्रिय होते चले गये।

    झारखण्‍ड के नये मुख्‍यमंत्री के रूप में चंपई सोरेन

    Champai Soren Ka Jeevan Parichay अपने लंबे राजनीतिक सफर और अनुभवों से चंपई सोरेन ने झारखण्‍ड की जनता के लिए कई महत्‍वपूर्ण कार्य किये है। और अभी हाल ही में  हेमंत सोरेन के इस्‍तीफे बाद 2024 में, उन्हें झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में मनोनित किया गया है। जो उनके लंबे और उपलब्धिपूर्ण राजनीतिक करियर का चरमोत्कर्ष है। उनके नेतृत्व में, झारखंड राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और उनका ध्यान राज्य के समग्र विकास पर केंद्रित रहा है।

    Champai Soren Ka Jeevan Parichay चंपई सोरेन का जीवन परिचय

    Biography Of Rashmika Mandana रश्मिका मंदाना का जीवन परिचय

    एनिमल मूवी बनाने वाले संदीप रेड्डी वांगा कौन हैं? Sandip Reddy Wanga Biography

    FAQS-

    चंपई सोरेन कौन है?

    झारखण्‍ड राज्‍य के मुख्‍यमंत्री।

    चंपई सोरेन किस राजनीतिक पार्टी से संबंधित है?

    वे झारखण्‍ड मुक्ति मोर्चा के सदस्‍य है।

    चंपई सोरेन ने किस वर्ष से राजनीति में प्रवेश किया?

    वर्ष सन् 1991 से।

    झारखण्‍ड के नये मुख्‍यमंत्री कौन है?

    चंपई सोरेन।

    चंपई सोरेन के पिता का क्‍या नाम है?

    सिमर सोरेन।

    चंपई सोरेन ने कहां तक पढ़ाई की है?

    10 वी तक।

    चंपई सोरेन कौन से विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्‍व करते है?

    सरायकेला।

    चंपई सोरेन झारखण्‍ड के कौन से क्रम के मुख्‍यमंत्री है?

    सातवें।

    चंपई सोरेन को और किस नाम से जाना जाता है?

    झारखण्‍ड टाइगर।

    Biography Of Rashmika Mandana रश्मिका मंदाना का जीवन परिचय

    Biography Of Rashmika Mandana

    Biography Of Rashmika Mandana भारतीय फिल्‍म अभिनेत्री रश्मिका मंदाना

    Biography Of Rashmika Mandana : रश्मिका मंदाना एक भारतीय अभिनेत्री है। और दक्षिण भारतीय फिल्‍मों में काम करती है। रश्मिका मंदाना ‘नेशनल क्रश ऑफ इंडिया’ के नाम से पुरे भारत में लोकप्रिय है। रश्मिका मंदाना एक फिल्म अभिनेत्री, और मॉडल है। आपको बता दें कि रश्मिका मंदाना 2014 में “क्‍लीन एंड क्लियर टाइम्‍स फ्रेश फेस ऑफ इंडिया” प्रतियोगिता में विजय घोषित हुई थी। आज के इस पोस्‍ट Biography Of Rashmika Mandana में उनके जीवन के बारें में जानेगें।

    रश्मिका मंदाना का व्‍यक्तिगत जीवन संंक्षिप्‍त विवरण

    नामरश्मिका मंदाना
    उपनाम निक नेमनेशनल क्रश, मोनिशा, मोनिका, और मोनी
    जन्‍म तिथि5 अप्रैल 1996
    जन्‍म स्‍थानविराजपेट कोडागु, कर्नाटक, भारत
    पिता का नाममदन मंदाना
    मां का नामसुमन मंदाना
    राष्‍ट्रीयताभारतीय
    धर्महिन्‍दू
    कद (Hight)5 फिट 6 इंच (168 cm)
    वजन (Weight)54 Kg
    राशिमेष
    शैक्षणिक योग्‍यताग्रेजुएशन, अंग्रेजी और मनोविज्ञान में स्‍नातक
    पेशाअभिनेत्री, मॉडल

    Biography Of Rashmika Mandana रश्मिका मंदाना की जन्‍म तिथि

    रश्मिका मंदाना का जन्‍म 5 अप्रैल 1996 को कर्नाटक के विराजपेट कोडागु में एक मध्‍यवर्गीय परिवार में हुआ था। रश्मिका मंदाना के पिता का नाम मदन मंदाना व माता का नाम सुमन मंदाना है। रश्मिका के पिता कर्नाटक के सरकारी संस्थान में बाबू के पद पर कार्यरत थे। उनकी एक बहन भी हैं जिनका नाम सीमन है।

    Biography Of Rashmika Mandana रश्मिका मंदाना की शिक्षा

    रश्मिका मंदन्ना की शिक्षा की बात करें तो रश्मिका मन्दाना ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा कर्नाटक में स्थित पूरब पब्लिक स्कूल से पूरी की स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने एम एस रमैया कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स से मास्‍टर ऑफ साइकोलॉजी की डिग्री हासिल की। रश्मिका को बचपन से ही एक्टिंग और मॉडलिंग का बहुत ज्यादा शौक था जिसके चलते वह अपने कॉलेज दिनों में कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ मॉडलिंग भी करती थी।

    रश्मिका मंदाना का फिल्‍मी दुनिया में कैरियर

    रश्मिका मंदाना ने साल 2016 में कन्नड़ फिल्म ‘किरिक पार्टी’ से फिल्‍मी दुनिया में अपना कदम रखा। इस फिल्‍म में रश्मिका ने सान्‍वी जोसेफ का किरदार निभाया था। यह फिल्‍म एक बड़ी हिट साबित हुई। साल 2016 की सबसे ज्‍यादा कमाई करने वाली फिल्‍मों में ‘किरिक पार्टी’ का नाम भी शामिल है।

    रश्मिका मंदाना ने साल 2018 में रोमांटिक ड्रामा चालो के साथ अपना तेलुगु डेब्यू किया, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। उसी वर्ष में, उसने रोमकॉम फिल्म गीता गोविंदम में अभिनय किया, जो तेलुगु सिनेमा के इतिहास में सबसे अधिक लाभ कमाने वालों में से एक बन गई, जिसने उसे बहुत बड़ी पहचान दिलाई।

    उनकी तीसरी तेलुगु उद्यम मल्टीस्टारर बड़े बजट की फिल्म थी जिसका नाम देवदास था, जो भारतीय बॉक्स ऑफिस पर औसत हिट रही, इसने अपनी पहली हिट फिल्म के बाद तेलुगु फिल्म उद्योग में एक ही वर्ष में लगातार तीसरी हिट फिल्म हासिल की। कन्नड़ फिल्म उद्योग में हिट, खुद को तेलुगु सिनेमा की प्रमुख अभिनेत्रियों में से एक के रूप में स्थापित किया।

    Biography Of Rashmika Mandana रश्मिका मंदाना का जीवन परिचय

    रश्मिका मंदाना की पसंदीदा चीजें

    पसंदीदा भोजनडोसा
    पसंदीदा अभिनेताबॉलीवुड- शहरूख खान, रणवीर सिंह, सिद्धार्थ मल्‍होत्रा
    हॉलीवुड- चेनिंग टैटम, इयान मैकलीन
    पसंदीदा अभिनेत्रीश्रीदेवी एवं एमा वॉटसन
    पसंदीदा संगीतकारजस्टिन बीबर, शकीरा
    पसंदीदा रंगकाला
    Biography Of Rashmika Mandana रश्मिका मंदाना का जीवन परिचय

    रश्मिका मंदाना की टॉप 10 फिल्‍में

    फिल्‍मसन्
    किरिक पार्टी2016
    अंजनी पुत्र2017
    चलो2018
    गीता गोविंदम2018
    यजमाना2019
    डिअर कामरेड2019
    सरिलेरू नीकेवरू2020
    पोगरू2021
    सुलतान2021
    पुष्‍पा2021
    Biography Of Rashmika Mandana रश्मिका मंदाना का जीवन परिचय

    रश्मिका मंदाना की जीवन से जुड़ी रोचक जानकारी

    • रश्मिका मंदाना की मातृभाषा कन्नड़ है।
    • रश्मिका मंदाना को जिमिंग और ट्रैवलिंग का शौक हैं।
    • रश्मिका मंदाना मांसाहारी हैं।
    • रश्मिका मंदाना के हाथ पर एक टैटू भी है। जिसमें उन्होंने irreplaceable लिखवाया है।
    • दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग में प्रवेश करने के लिए क्लीन एंड क्लियर विज्ञापन उनके लिए पहली सफलता थी।
    • वह एक शौकीन चावला यात्रा प्रेमी है। लंदन उनका पसंदीदा ट्रैवलिंग डेस्टिनेशन है।
    • कॉलेज से स्नातक करने के बाद, उन्होंने मॉडलिंग करियर की शुरुआत की।
    • साउथ सिनेमा की सुपरस्‍टार मानी जाने वाली रश्मिका मंदाना (Rashmika Mandanna) ने बेहद ही कम उम्र में तरक्की हासिल की। 19 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी पहली फिल्म साइन की थी।

    Biography Of Rashmika Mandana रश्मिका मंदाना का जीवन परिचय

    कर्पूरी ठाकुर कौन थे।Karpoori Thakur Ka Jeevan Parichay।

    एनिमल मूवी बनाने वाले संदीप रेड्डी वांगा कौन हैं? Sandip Reddy Wanga

    FAQs

    रश्मिका मंदाना का जन्म कब हुआ?

    5 अप्रैल 1996।

    रश्मिका मंदाना का जन्म कहां हुआ?

    कर्नाटक के विराजपेट में।

    रश्मिका मंदाना का निक नेम क्‍या है?

    नेशनल क्रश, मोनिशा, मोनिका, और मोनी।

    रश्मिका मंदाना के पिता का क्‍या नाम है?

    मदन मंदाना।

    रश्मिका मंदाना के माता का क्‍या नाम है?

    सुमन मंदाना।

    रश्मिका मंदाना ने अपने हाथ के टैैैटूू पर क्‍या लिखवाया है?

    Irreplaceable

    रश्मिका मंदाना ने किस फिल्म से डेब्यू किया?

    कन्नड़ फिल्म ‘किरिक पार्टी।

    साल 2012 में रश्मिका मंदाना ने कौन सा खिताब जीता है?

    क्लीन एंड क्लियर फ्रेश फेस ऑफ़ इंडिया का खिताब।

    साल 2015 में रश्मिका मंदाना ने कौन सा खिताब जीता है?

    लैमोड बैंगलोर के प्रतिष्ठित मॉडल हंट में टीवीसी का खिताब।

    साल 2015 में रश्मिका मंदाना ने कौन आवार्ड जीता है?

    सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री के लिए SIIMA अवार्ड।