EVM Machine Kya Hai? यह कैसे काम करता है?
EVM Machine Kya Hai? ईवीएम (EVM) का मतलब है इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन। यह एक डिवाइस है जिसे चुनावों में वोटिंग के लिए उपयोग किया जाता है। इसके माध्यम से मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देते हैं। ईवीएम मशीन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह पारदर्शिता, सुरक्षा और त्वरित परिणाम सुनिश्चित कर सके।
ईवीएम में दो मुख्य भाग होते हैं:-
- बैलट यूनिट (Ballot Unit): इसमें उम्मीदवारों के नाम और उनके चुनाव चिन्ह होते हैं। मतदाता इसका उपयोग करके अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुन सकते हैं।
- कंट्रोल यूनिट (Control Unit): यह चुनाव अधिकारियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है और यह वोटों को रिकॉर्ड करता है। यह बैलट यूनिट से जुड़ी होती है और यह केवल अधिकृत चुनाव अधिकारियों द्वारा ही सक्रिय की जा सकती है।
ईवीएम का उद्देश्य चुनावों को अधिक प्रभावी, पारदर्शी, और तेज बनाना है। इसका उपयोग भारत में लोकसभा, विधानसभा, पंचायत, और अन्य चुनावों में किया जाता है।.
EVM Machine कैसे काम करता है?
ईवीएम मशीन का काम करने का तरीका काफी सरल और सुरक्षित होता है। इसमें दो मुख्य घटक होते हैं: बैलट यूनिट और कंट्रोल यूनिट। आइए, इसको विस्तार से समझते हैं:
1. बैलट यूनिट (Ballot Unit):
यह वही हिस्सा है, जहां मतदाता अपना वोट डालते हैं। इसमें सभी उम्मीदवारों के नाम और उनके चुनाव चिन्ह होते हैं। जब मतदाता वोट डालते हैं, तो वह उस उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह पर बटन दबाते हैं।
2. कंट्रोल यूनिट (Control Unit):
यह चुनाव अधिकारी के पास होता है और यह बैलट यूनिट से जुड़ा होता है। कंट्रोल यूनिट वोटिंग प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। इसे केवल अधिकृत चुनाव अधिकारी ही सक्रिय कर सकते हैं। इस यूनिट का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना होता है कि वोटिंग प्रक्रिया सही तरीके से हो।

ईवीएम का काम करने का तरीका:-
- मतदाता की पहचान और वोटिंग:
- जब चुनाव शुरू होते हैं, तो कंट्रोल यूनिट चुनाव अधिकारी द्वारा चालू किया जाता है।
- इसके बाद, मतदाता बैलट यूनिट पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह पर बटन दबाकर वोट डालते हैं।
- जैसे ही वोट डाला जाता है, बैलट यूनिट एक ध्वनि (बीप) के साथ यह पुष्टि करता है कि वोट रिकॉर्ड हो चुका है। हर बार बटन दबाने से केवल एक ही वोट दर्ज होता है।
- वोटिंग की रिकॉर्डिंग:
- बैलट यूनिट से जुड़े कंट्रोल यूनिट में वोटों को रिकॉर्ड किया जाता है। यह यूनिट वोटों की गिनती और सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
- वोटिंग की प्रक्रिया में कोई भी उम्मीदवार बार-बार बटन दबा कर वोट नहीं डाल सकता। एक बार वोट देने के बाद, बैलट यूनिट में बटन दबाने के लिए कुछ समय तक निष्क्रिय रहता है।
- वोटों की सुरक्षा:
- हर वोट को एक विशेष सुरक्षा कोड के साथ रिकॉर्ड किया जाता है, जिससे वोटों की गिनती और चुनाव परिणाम को सुरक्षित किया जा सके।
- ईवीएम में किसी प्रकार की छेड़छाड़ को रोकने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय होते हैं।
- चुनाव के बाद वोटों की गिनती:
- चुनाव खत्म होने के बाद, कंट्रोल यूनिट को चुनाव अधिकारी खोलते हैं और सभी वोटों को गिनते हैं।
- गिनती प्रक्रिया बहुत जल्दी होती है, और परिणाम तुरंत मिल जाते हैं।
ईवीएम के फायदे:–
- त्वरित गिनती: ईवीएम से वोटों की गिनती बहुत तेज होती है, जिससे चुनाव के परिणाम जल्दी मिल जाते हैं।
- सुरक्षा: इसमें वोटों में छेड़छाड़ करने की संभावना बहुत कम होती है। प्रत्येक वोट को रिकॉर्ड करने का एक तरीका है जो सुनिश्चित करता है कि हर वोट सही तरीके से दर्ज हो।
- विश्वसनीयता: ईवीएम मशीन का उपयोग पारदर्शी और बिना किसी पक्षपाती तरीके से किया जाता है।
इस तरह से ईवीएम मशीन चुनाव प्रक्रिया को सरल, सुरक्षित और प्रभावी बनाती है।
EVM मशीन का पूरा नाम क्या है?
ईवीएम मशीन का पूरा नाम है “इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन” (Electronic Voting Machine)।
यह एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसका उपयोग चुनावों में वोटों को रिकॉर्ड और गिनने के लिए किया जाता है।
ईवीएम मशीन का अविष्कार किसने किया था?
ईवीएम मशीन का आविष्कार डॉ. श्रीनिवास पटनायक ने किया था।
डॉ. पटनायक भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स के विशेषज्ञ थे, जिन्होंने 1980 के दशक में भारतीय चुनावों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का विकास किया था। उनका उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और सुरक्षित बनाना था।
भारत में पहली बार ईवीएम का उपयोग 1982 में द्वारा भोपाल नगर निगम चुनाव में किया गया था, और बाद में 1990 के दशक में इसे आम चुनावों में इस्तेमाल किया जाने लगा।
इस मशीन के आविष्कार ने चुनावों की प्रक्रिया को बहुत अधिक सुव्यवस्थित और प्रभावी बना दिया है।
ईवीएम मशीन कैसे बनाया जाता है?
ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) बनाने की प्रक्रिया तकनीकी रूप से बहुत जटिल और सुरक्षा से संबंधित होती है। यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है कि चुनावों में कोई गड़बड़ी न हो और हर वोट सही तरीके से रिकॉर्ड किया जाए। ईवीएम बनाने में कई कदम होते हैं, जिनमें तकनीकी विकास, परीक्षण और सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं।
यहां ईवीएम बनाने की सामान्य प्रक्रिया का विवरण दिया गया है:
1. डिज़ाइन और विकास:
- आवश्यकताएँ तय करना: सबसे पहले, चुनाव आयोग और विशेषज्ञों द्वारा ईवीएम की आवश्यकताओं को निर्धारित किया जाता है। इसमें सुरक्षा, उपयोगकर्ता-मित्रता और विश्वसनीयता पर ध्यान दिया जाता है।
- हार्डवेयर डिजाइन: ईवीएम के भीतर उपयोग होने वाले प्रमुख घटक, जैसे कि बैलट यूनिट, कंट्रोल यूनिट, बटन, डिस्प्ले, और अन्य तकनीकी उपकरण डिज़ाइन किए जाते हैं।
- सर्किट डिज़ाइन: ईवीएम में इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बनाए जाते हैं जो वोटिंग प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। सर्किट में वोटों को सही तरीके से रिकॉर्ड करने, सुरक्षा कोड जोड़ने और वोटों की गिनती करने के लिए विशिष्ट प्रणाली होती है।
2. सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग:
- वोटिंग सॉफ़्टवेयर: ईवीएम के भीतर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है जो वोटों को दर्ज करने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए जिम्मेदार होता है। इस सॉफ़्टवेयर को चुनाव आयोग की निगरानी में विकसित किया जाता है।
- सुरक्षा उपाय: सॉफ्टवेयर में सुरक्षा के कई स्तर होते हैं, जैसे कि प्रत्येक वोट को एक अद्वितीय पहचान देने के लिए एन्क्रिप्शन और कोडिंग। यह सुनिश्चित करता है कि वोटों में कोई छेड़छाड़ न हो।
3. निर्माण और असेंबली:
- कंपोनेंट्स का निर्माण: ईवीएम के विभिन्न हिस्से जैसे कि बटन, डिस्प्ले, माइक्रोचिप्स, बैटरी, और अन्य उपकरण विशेष प्रकार से बनाए जाते हैं। इन सभी घटकों को उच्च गुणवत्ता वाले सामग्री से तैयार किया जाता है, ताकि मशीन स्थिर और सुरक्षित रहे।
- असेंबली: सभी घटकों को एक साथ जोड़कर ईवीएम मशीन का आकार दिया जाता है। बैलट यूनिट और कंट्रोल यूनिट को जोड़ने की प्रक्रिया भी इस चरण में होती है।
4. टेस्टिंग और गुणवत्ता नियंत्रण:
- प्रारंभिक परीक्षण: हर ईवीएम को निर्माण के बाद कई परीक्षणों से गुजरना पड़ता है, जैसे कि वोट दर्ज करने की क्षमता, बैटरी जीवन, और सुरक्षा विशेषताएँ।
- सुरक्षा परीक्षण: यह सुनिश्चित करने के लिए कि मशीन में कोई छेड़छाड़ या गलतफहमी नहीं हो सकती, विभिन्न सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, मशीन को हैकिंग या शॉर्ट-सर्किट से बचाने के लिए इसे विशेष रूप से डिज़ाइन किया जाता है।
- मॉनिटरिंग और प्रमाणन: चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम की गुणवत्ता की निगरानी की जाती है। इसके बाद इसे प्रमाणित किया जाता है कि यह पूरी तरह से चुनावों में उपयोग के लिए उपयुक्त है।
5. कस्टमाइजेशन और प्रोग्रामिंग:
- उम्मीदवारों की सूची: एक बार मशीन तैयार हो जाती है, तो इसे चुनाव आयोग द्वारा निर्दिष्ट उम्मीदवारों की सूची और चुनाव चिन्हों से प्रोग्राम किया जाता है।
- कंट्रोल यूनिट का सेटअप: कंट्रोल यूनिट चुनाव अधिकारियों द्वारा सेट किया जाता है और यह वोटिंग प्रक्रिया को नियंत्रित करने का काम करता है।
6. वोटिंग प्रक्रिया के बाद:
- चुनाव के बाद, सभी ईवीएम की जांच की जाती है और सुरक्षित तरीके से वोटों की गिनती की जाती है। ईवीएम को संग्रहित किया जाता है और चुनाव परिणामों को सार्वजनिक किया जाता है।
सुरक्षा विशेषताएँ:
ईवीएम मशीन में सुरक्षा के लिए कई प्रकार के उपाय होते हैं, जैसे:
- हैकिंग से सुरक्षा: ईवीएम में हार्डवेयर-आधारित सुरक्षा उपाय होते हैं, जैसे कि ‘स्मार्ट कार्ड’ और एन्क्रिप्शन।
- ब्लूटूथ या वायरलेस कनेक्शन से बचाव: ईवीएम में कोई वायरलेस कनेक्शन नहीं होता, जिससे इसे दूर से नियंत्रित या हैक नहीं किया जा सकता।
- मैनुअल चेक और रेट्रीवल: चुनाव अधिकारियों के पास चुनाव के बाद मशीन की स्थिति की जांच करने का विकल्प होता है, जिससे वोटों में कोई अनियमितता या गड़बड़ी नहीं हो सकती।
इस प्रक्रिया के दौरान हर चरण पर विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि ईवीएम विश्वसनीय, सुरक्षित और पारदर्शी हो, और चुनावी परिणामों में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की संभावना को समाप्त किया जा सके।
ईवीएम मशीन पर वोट कैसे डाला जाता है?
ईवीएम मशीन पर वोट डालने की प्रक्रिया काफी सरल और सीधे होती है। इसमें दो मुख्य यूनिट होती हैं: बैलट यूनिट और कंट्रोल यूनिट। यहाँ पर वोट डालने की पूरी प्रक्रिया दी गई है:

वोट डालने की प्रक्रिया:
- मतदाता का वोटिंग कक्ष में प्रवेश:
- सबसे पहले, मतदाता चुनाव केंद्र (polling booth) में प्रवेश करते हैं। चुनाव अधिकारी मतदाता की पहचान चेक करते हैं और उसे मतदान करने की अनुमति देते हैं।
- बैलट यूनिट का उपयोग:
- बैलट यूनिट में उम्मीदवारों के नाम और उनके चुनाव चिन्ह (symbol) होते हैं।
- मतदाता को बैलट यूनिट में उस उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह के बटन पर दबाना होता है, जिसे वे वोट देना चाहते हैं।
- जैसे ही बटन दबाया जाता है, एक बीप (ध्वनि) सुनाई देती है, और बैलट यूनिट का स्क्रीन या बटन लाइट जलता है, जिससे यह पुष्टि होती है कि वोट दर्ज हो चुका है। इस प्रक्रिया के दौरान वोट का रिकॉर्ड कंट्रोल यूनिट में सुरक्षित हो जाता है।
- वोटिंग की पुष्टि:
- प्रत्येक बटन दबाने के बाद एक ध्वनि संकेत (बीप) मिलता है और स्क्रीन पर भी एक लाइट जलती है जो यह दर्शाती है कि वोट सफलता से दर्ज हो चुका है।
- वोट डालने के बाद, बैलट यूनिट पर कोई और बटन दबाया नहीं जा सकता, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि एक व्यक्ति केवल एक बार वोट डाले।
- कंट्रोल यूनिट:
- कंट्रोल यूनिट चुनाव अधिकारियों के पास होता है और यह पूरी प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि बैलट यूनिट केवल सही समय पर सक्रिय हो और वोटिंग केवल अधिकृत लोगों द्वारा की जाए।
- यह यूनिट बैलट यूनिट से जुड़ी होती है और केवल चुनाव अधिकारी इसे सक्रिय या निष्क्रिय कर सकते हैं।
- वोट डालने के बाद:
- जब वोट डालने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो मतदाता वोटिंग कक्ष से बाहर निकल सकते हैं। एक बार वोट डालने के बाद, मतदाता का वोट रिवर्स या बदल नहीं सकता।
ईवीएम पर वोट डालते वक्त कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- सिर्फ एक बटन दबाया जा सकता है: एक बार मतदाता वोट डालने के बाद, वह उसी उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह के बटन पर सिर्फ एक बार दबाव डाल सकते हैं। यदि किसी अन्य उम्मीदवार का बटन दबाया जाए, तो यह वोट दर्ज नहीं होता।
- सुरक्षा: ईवीएम मशीन को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि इसमें किसी प्रकार की धोखाधड़ी या छेड़छाड़ की संभावना न हो। हर वोट को एक अद्वितीय कोड से सुरक्षित किया जाता है।
इस प्रकार, ईवीएम पर वोट डालने की प्रक्रिया बहुत सरल और पारदर्शी होती है, जो चुनावों को तेज़, सुरक्षित और विश्वसनीय बनाती है।