Manjhingarh Hill Tourist place II मांझीनगढ़ की पहाड़ी II

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प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर मांझीनगढ़ की पहाड़ी

Manjhingarh hill Station: छत्‍तीसगढ़ राज्‍य में बस्‍तर जिला प्राकृतिक सम्‍पदा एवं खनिज संसाधनो से तो भरपूर है ही, उसके साथ ही साथ यह प्रकृतिक सुदंरता से भी भरी पड़ी है, यहां के कल कल करती नदियां, चिडि़यों की चहचाहट से गूंज उठते पहाड़ी, एवं झरनों की सुंदरता किसी की भी मन को मोह लेती है। उसी तरह बस्‍तर के कोंण्‍डागांव जिले के अतंर्गत विश्रामपुरी में स्थित है मांझीनगढ़ की पहाड़ी जो अपने आप में एक प्रकृति की अनुपम छठा बिखेरती है। आज के इस पोस्‍ट में मांझीनगढ़ की पहाड़ी के बारे में बताने जा रहे है, जिससे की आप भी उस Manjhingarh hill Station तक पहुंचे और वहां की प्रकृतिक वादियों का आंनद ले।

Manjhingarh hill Station: मांझीनगढ़ पहाड़ी की भौगोलिक स्थिति

बस्‍तर क्षेत्र पूरी तरह से प्रकृतिक वादियों से घिरा हुआ है, किसी भी क्षेत्र या स्‍थान में वहां की भौगोलिक स्थिति का महत्‍वपूर्ण स्‍थान होता है, उसी तरह इस मांझीनगढ़ पहाड़ी की भी अपनी एक अलग भौ‍गोलिक विशेषता है, यह पहाड़ी केशकाल के बड़ेराजपुर ब्‍लाक में विश्रामपुरी के ग्राम पंचायत खल्‍लारी से 8 किलोमीटर दूरी पर ऊपर की ओर पहाड़ो में बसा हुआ है। यह मांझीनगढ़ (Manjhingarh) समुद्री तल से लगभग 5000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। और एक बहुत बडे़ क्षेत्र में फैला हुआ है।

मांझीनगढ़ क्‍यों प्रसिद्ध है?

यह मांझीनगढ़ की पहाड़ी प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, इस Manjhingarh hill Station पर जलप्रपात, एवं चट्टानों के बीच में प्राकृतिक गुफाएं विद्यमान है, जहां पर हजारों वर्ष पुराने शैलचित्र मौजूद हैं, जिसे आज से हजारों साल पहले के मानवों द्वारा इन अदभूत गुफाओं में सजीव पेन्टिंग किया गया है, और आश्‍चर्यजनक बात यह है, कि जब दुनिया में मंदिर मस्जिद, गढ़ किला किसी का भी अस्तित्‍व नहीं था। उस दौर में लिखने व पेन्टिंग करने की ऐसी उच्‍च तकनीक विकसित कर लिये थे। जिसका रंग आज भी सुरक्षित है।

इस मांझीनगढ़ (Manjhingarh) की पहाड़ी से आस पास के क्षेत्रों का सुंदर नाजारा दिखाई देता है, जिसमें इस पहाड़ी के ऊपर से कांकेर शहर, सरोना, और दुधावा बांध को भी देखा जा सकता है। यहां के घने जंगल, झरने, गुफाएं, एवं शैलचित्र यहां आने वाले पर्यटकों को एक विशेष अनुभव प्रदान करती है। इसके साथ ही साथ यहां पर इस क्षेत्र की लोक संस्‍कृति एवं यहां के निवासियों का देव स्‍थल मौजूद है। जिनके वजह से ही यह स्‍थान आज सुरक्षित एवं संरक्षित है।

Manjhingarh Hill Station मांझीनगढ़ की गुफा

मांझीनगढ़ में स्थित “गढ़मावली माता” एवं भादोम जात्रा के बारे में भी जानें

इस मांझीनगढ़ (Manjhingarh) की पहाड़ी को लोग सिर्फ प्रकृतिक सौंदर्य के लिए ही जानते है, लेकिन उससे भी बढ़कर इस स्‍थान का एक विशेष महत्‍व है। यह मांझीनगढ़ सबसे पहले यहां के निवासियों का देव स्‍थल के रूप में प्रसिद्ध है। क्‍योंकि यहां पर “गढ़मावली माता” का स्‍थान है। जिसे आस पास के स्‍थनीय लोग सेवा अर्जी करते है पूजते है। और इस मांझीनगढ़ में जहां पर “गढ़मावली माता” विराजमान है। प्रतिवर्ष भादोम जात्रा का आयोजन किया जाता है।

यह भादोम जात्रा भादो माह में केशकाल के भंगाराम जात्रा के दिन ही आयोजित होती है। आस पास के सभी गांवों के लोग देवी देवता और पेन शक्तियों के साथ बड़ी संख्‍या में यहां पर पहुंचते है। और गांवों को प्राकृतिक आपदा से बचाने, सुख समृद्धि, खुशहाली के “गढ़मावली माता” के स्‍थान में सेवा अर्जी विनती करते है। जिसके कारण ही यहां की संस्‍कृति की अपनी अलग पहचान है जिसे यहां के निवासियों ने आज तक बचाकर संजोकर रखा है।

मांझीनगढ़ को जैव विविद्यता पार्क के रूप में विकसित करने की घोषणा

(Manjhingarh) मांझीनगढ़ कोंडागाँव जिले के एक विशेष प्रचलित ईको टूरिज्म स्थल के रूप में लोगों को लुभा रहा है। यहां के घने जंगल, प्राकृतिक गुफाएं हजारों साल पुराना शैलचित्र, वन्य जीव, औषधीय पौधे, सुंदर मनमोहक वादियाँ तथा यहां की भौगोलिक संरचनायें पर्यटकों को एक विशेष अनुभव और आनंद प्रदान करती हैं।

मांझीनगढ़ (Manjhingarh) की इन्‍ही विशेषताओं के कारण 18 मार्च 2023 को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोंडागांव जिले के केशकाल विधानसभा के ग्राम बांसकोट में भक्त माता कर्मा जयंती एवं मुख्यमंत्री कन्या विवाह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से भाग लेते हुए मांझीगढ़ को पर्यटन स्थल घोषित किया।

कोण्‍डागांव जिले के तत्‍कालिन कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने खालेमुरवेंड में लिंगोधारा पर्यटन स्थल, बांध और मांझिनगढ़ का सौंदर्यीकरण करने अधिकारियों के साथ स्थल निरीक्षण किया व सभी को जल्द से जल्द प्रोजेक्ट तैयार करने निर्देश दिया। और जंगल सफारी की तर्ज पर मांझीनगढ़ Manjhingarh hill Station को बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित किया जाएगा।

मांझीनगढ़ तक कैसे पहुंचे?  

इस मांझीनगढ़ (Manjhingarh) की पहाड़ी पर पहुंचने के लिए सबसे पहले रायपुर की तरफ से आने वाले पर्यटकों को केशकाल घाटी को पार करते हुए केशकाल में विश्रामपुरी चौक पहुंचना होगा उसी तरह जगदलपुर की ओर से आने वाले पर्यटकों को केशकाल के विश्रापुरी चौक पहुचना होगा और केशकाल से विश्रामपुरी की दूरी 20 किमी, विश्रामपुरी से आमडीही होते हुए ग्राम पंचायत खल्‍लारी की दूरी लगभग 06 किमी और खल्‍लारी से पहाड़ी तक 08 किमी की दूरी तय करके मांझीनगढ़ स्‍थल तक पहुंचा जा सकता है।

सारांश:-

इस मांझीनगढ़ को प्रकृति ने अपने प्राकृतिक सौंदर्य से खुब निखारा है, मांझीनगढ़ (Manjhingarh) की खूबसूरत नजारें, पेड़ पौधे, सुंदर वातावरण यहां आने वाले पर्यटकों के मन को मोह लेती है, जिससे की लोग इस स्‍‍थान पर बार बार आना पंसद करते है। और इस स्‍थान का आनंद लेना चाहते है। अगर आप भी इस स्‍थान पर आना चाहते है और मांझीनगढ़ के बारे में जानता चाहते है, तो एक बार मांझीगढ़ की यात्रा जरूर करें।

मेरी इस लेख की माध्‍यम से यहां आने वाले पर्यटकों से एक अग्रह है, कि जब भी इस तरह के प्राकृतिक जगहों पर जायें तो वहां के वातावरण का खास ध्‍यान दें कोई गंदगी न फैलायें, प्‍लास्‍टिक युक्‍त चीजों को इधर उधर न फेंके वहां की चीजों को नुकसान न पहुचायें जिससे की उस प्राकृतिक सौदंर्य पर कोई प्रभाव पड़े क्‍योंकि प्रकृति हमें कोई भी चीजें निशुल्‍क उपहार प्रदान करती है। और हम मानव अपनी स्‍वार्थ के लिए प्रकृति के दिये इस उपहार को नष्‍ट करके विनाश के कगार पर ले जाते है।

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FaQs :-

मांझीनगढ़ कहां पर स्थित है?

कोण्‍डागांव जिले में विश्रापुरी के खल्‍लारी गांव के समीप पहाड़ी पर

मांझीनगढ़ क्‍यों प्रसिद्ध है?

प्राकृतिक सौंदर्य के लिए

मांझीनगढ़ में क्‍या क्‍या स्थित है?

जलप्रपात, प्राकृतिक गुफाएं, शैलचित्र एवं “गढ़मावली” माता का स्थान

मांझीनगढ़ समुद्र तल से कितनी ऊंचाई पर स्थित है?

समुद्र तल से 5000 फीट

मांझीनगढ़ के शैलचित्र कितनी वर्ष पुरानी है?

10 हजार साल पुरानी

मांझीनगढ़ में कौन सा जात्रा होता है?

भादोम जात्रा

मांझीनगढ़ में कौन से माता का स्‍थान है?

गढ़मावली माता

मांझीनगढ़ के ऊपर से कौन कौन से स्‍थान दिखाई देते है?

कांकेर शहर, सरोना, एवं दुधावा बांध

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