Pandit Sundarlal SharmaIIपं.सुन्‍दरलाल शर्मा का जीवन परिचयII

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Pandit Sundarlal Sharma Jivan Parichay IIपंडित सुंदरलाल शर्मा की जीवनीII

Pandit Sundarlal Sharma: छत्‍तीसगढ़ के गांधी के रूप में विख्‍यात पं. सुन्‍दरलाल शर्मा नाट्यकला, मूर्तिकला एवं चित्रकला में निपुण विद्ववान थे। उन्‍होने प्रदलाद चरित्र, करूणाद-पचीसी, व सतनामी-भजन-मालाा जैसे ग्रंथों की रचना की साथ ही छत्‍तीसगढ़ में जन जागरण तथा समाजिक क्रांति के अग्रदूत माने जाते है, वे कवि, सामाजसेवक, इतिहासकार, सामाजिक कार्यकर्ता, स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। आज के इस पोस्‍ट में पं. सुन्‍दरलाल शर्मा के जीवन के बारे में जानेगें।

पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा का जन्‍म (Birth of Pandit Sundarlal Sharma)

Pandit Sundarlal Sharma: पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा का जन्‍म 21 दिसंबर 1881 को छत्‍तीसगढ़ प्रांत में राजिम के समीप महानदी के किनारे बसे ग्राम चन्‍द्रपुर में हुआ था। उनके पिता का जगलाल तिवारी उस समय कांकेर रियासत में विधि सलाहकार थे, एवं उनकी माता का नाम देवमति था। पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा के हृदय में बचपन से ही हिंसा के प्रति घृणा थी, वे अस्‍पृश्‍यता को भारत के गुलामी तथा समाज के पतन का कारण मानते थे। उन्‍होने समाज की उत्‍थान एवं संगठन के लिए गांव-गांव घूमकर लोगों को जागरूक किया।

पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा की शिक्षा (Education of Pandit Sunderlal Sharma)

Pandit Sundarlal Sharma: पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा की स्‍कूली शिक्षा प्राथमिक स्‍तर तक ही हुई क्‍योंकि उन दिनो छत्‍तीसगढ़ में शिक्षा का प्रचार प्रसार बहुत कम था और आगे घर पर ही उन्‍होने स्‍वाध्‍याय से संस्‍कृत, बंग्‍ला, मराठी, अंग्रेजी, उर्दू, उड़‍िया आदि भाषाएं भी सीख ली सुन्‍दर लाल शर्मा साहित्‍य और पढ़ाई में अत्‍यधिक रूचि रखते थे उनके अंदर ज्ञान और दक्षता हासिल करने की जबरदस्‍त ललक थी, किशोरावस्‍था से ही उन्‍होने कविताएं, लेख, एवं नाटक लिखना शुरू कर दिये थे। गांवो में अंधविश्‍वास, अज्ञानता सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए शिक्षा के प्रचार प्रसार को अधिक महत्‍व देते थे।  

पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा की रचनाएं (ग्रंथ) (Works (books) of Pandit Sunderlal Sharma)

Pandit Sundarlal Sharma: पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा भाषा और साहित्‍य में विशेष रूचि रखने के साथ-साथ एक महान साहित्‍यकार थे। उन्‍होने हिन्‍दी भाषा के साथ छत्‍तीसगढ़ी बोली को भाषा का रूप दिलाने के लिए अथक प्रयास किया, वे हिन्‍दी भाषा एवं छत्‍तीसगढ़ी में लगभग 18 ग्रंथों की रचना की जिसमें छत्‍तीसगढ़ी दानलीला उनकी प्रसिद्ध रचना है। यह छत्‍तीसगढ़ का प्रथम प्रबंध-काव्‍य है। वे अपनी कविताओं में “सुन्‍दर कवि” उपनाम का उपयोग करते थे। उन्‍होने छत्‍तीसगढ़ी में दुलरवा पत्रिका, और हिन्‍दी में कृष्‍णा जन्‍म स्‍थान पत्रिका की रचना की।

पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा की प्रकाशित प्रमुख कृतियां

  • छत्‍तीसगढ़ी दानलीला
  • काव्‍यामृतवर्षिणी
  • राजीव प्रेम-पियूष
  • सीता परिणय
  • पार्वती परिणय
  • प्रल्‍हाद चरित्र
  • ध्रुव आख्‍यान
  • करूणा पच्‍चीसी
  • श्री कृष्‍णा जन्‍म आख्‍यान
  • सच्‍चा सरदार
  • विक्रम शशिकला
  • विक्‍टोरिया वियोग
  • श्री रघुनाथ गुण कीर्तन
  • प्रताप पदावली
  • सतनामी भजनमाला
  • कंस वध

पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा का योगदान (Contribution of Pandit Sunderlal Sharma)

Pandit Sundarlal Sharma: छत्‍तीसगढ़ की राजनीति व देश के स्‍वतंत्रता आंदोलन में उनका विशेष योगदान रहा है, 19 शताब्‍दी के अंमित चरण में देश में राजनीतिक और सांस्‍‍कृतिक चेतना की लहरें जाग उठ रही थी, उसी समय समाज सुधारकों, चिंतको तथा देशभक्‍तों ने परिवर्तन के इस दौर में समाज को एक नयी सोच और सही दिशा प्रदान की छत्‍तीसगढ़ के गांव गांव में  व्‍याप्‍त अंधविश्‍वास, अस्‍पृश्‍यता, समाजिक कुरीतियों, और रूढ़िवादिता को दूर करने के लिए समाजिक चेतना को घर-घर पहुंचाने के लिए सुन्‍दरलाल शर्मा ने उल्‍लेखनीय कार्य किया।

पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा ने राष्‍ट्रीय कृषक आंदोलन, मद्यनिषेद, आदिवासी आंदोलन, स्‍वदेशी आंदोलन जिसमें विदेशी वस्‍तुओं के बहिस्‍कार तथा देशी वस्‍तुओं के प्रचार प्रसार पर जोर दिया। पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा एक ऐसे विचारक थे जिनकी स्‍पष्‍ट मान्‍यता थी कि समाज के सभी वर्गो को राजनैतिक, सामाजिक एवं धार्मिक समानता का अधिकार मिलें पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा 1903 में अखिल भारतीय कांग्रेस के सदस्‍य बने उन्‍होने 1907 में सूरत में आयोजित राष्‍ट्रीय अधिवेशन में जाने वाले छत्‍तीसगढ़ के युवाओं का नेतृत्‍व किया था।

सन् 1907 में राजिम में संस्‍कृत पाठशाला तथा कुछ वर्षो बाद वाचनालय स्थापित किया रायपुर के ब्राहृमण पारा में बाल समाज पुस्‍तकालय की स्‍थापना का श्रेय भी उन्‍हे दिया जाता है। सन 1916 में उन्‍होने गो-वध के विरूद्ध  एक आंदोलन चलाया, उनके द्वारा सन् 1920 में धमतरी के समीप कंडेल नहर सत्‍याग्रह का सफल नेतृत्‍व किया गया। हरिजनोउद्धार का कार्य करवाया जिसकी प्रशंसा महात्‍मा गांधी ने अपने मुक्‍त कंठ से करते हुए सुन्‍दर लाल शर्मा को इस कार्य में अपना गुरू माना था। उनके इस प्रयासों से ही महात्‍मा गांधी 20 दिसम्‍बर 1920 को पहली बार रायपुर आए।

पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा का निधन

Pandit Sundarlal Sharma: पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा जीवन भर समाजिक कार्य और जनजागरण करते रहे, वे जीवन-पर्यन्‍त सादा जीवन, उच्‍च विचार के आदर्शो का पालन करते हुए सदैव समाज सेवा में लीन रहते थे। अत्‍यधिक परिश्रम करने से, उनका शरीर क्षीण हो गया और 28 दिसम्‍बर सन् 1940 को उनका निधन हो गया।

सम्‍मान:-

  • “पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा सम्‍मान” छत्‍तीसगढ़ में जन जागरण तथा समाजिक क्रांति के अग्रदूत पं. सुन्‍दरलाल शर्मा के स्‍मृति में यह सम्‍मान छत्‍तीसगढ़ के संस्‍कृति विभाग द्वारा साहित्‍य के क्षेत्र में दिया जाता है। इसकी स्‍थापना 2001 में की गई थी। पुरस्‍कार राशि 2 लाख रूपये प्रथम “सुन्‍दरलाल शर्मा सम्‍मान” विनोद कुमार शुक्‍ल को 2001 में प्रदान किया गया था।
  • सुन्‍दरलाल शर्मा मुक्‍त विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना” पंडित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़, बिलासपुर की स्थापना छत्तीसगढ़ शासन के अधिनियम क्र. 26 सन् 2004 द्वारा। माननीय राज्यपाल की अनुमति से इस अधिनियम को 20 जनवरी, 2005 को की गई इसका उद्देश्य राज्य के दूरवर्ती इलाकों में शिक्षा से वंचित समूहों के लिए दूरस्थ शिक्षा प्रणाली द्वारा विद्यार्थियों को ज्ञानदान, समर्थवान और कुशल बनाना है। आज दूरस्थ शिक्षा पद्धति को शिक्षा के क्षेत्र में सपनों को साकार करने वाली वैज्ञानिक पद्धति के रूप में जाना जाता है।
  • भारत सरकार ने पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा की स्‍मृति में 1990 में एक डाक टिकट भी जारी किया था।

पं. सुन्‍दरलाल शर्मा मुक्‍त विश्‍वविद्यालय (Pandit Sundarlal Sharma University)

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FaQs

छत्तीसगढ़ के गांधी के रूप में किसे जाना जाता है?

पंडित सुन्‍दरलाल शर्मा। (Pandit Sundarlal Sharma)

पंडित सुंदरलाल शर्मा को प्रथम बार जेल कब हुई थी?

1914 में । सन 1921 से 1942 के दौरान वह गाँधी जी के सत्याग्रह में भाग लेकर 8 बार जेल गए।

पंडित सुंदरलाल शर्मा की कुल कितनी रचनाएं प्रकाशित है?

उन्होंने 22 ग्रंथो की रचना की। उनकी सबसे चर्चित रचना छत्तीसगढ़ी दानलीला थी।

पंडित सुंदरलाल शर्मा के प्रथम काव्य का नाम क्या है?

पंडित सुंदरलाल शर्मा नें 1904 में छत्तीसगढ़ी दान लीला नामक खंड काव्य नाटक की रचना की थी।

CG का गांधी कौन है?

पंडित सुन्दरलाल शर्मा। (Pandit Sundarlal Sharma)

पंडित सुन्दरलाल शर्मा का जन्म कब हुआ था? When was Pandit Sundarlal Sharma born?

21 दिसंबर 1881 को।

पंडित सुंदरलाल शर्मा की मृत्यु कैसे और कब हुई?

समाज सेवा में रत परिश्रम के कारण शरीर क्षीण हो गया और 28 दिसम्बर 1940 को आपका निधन हुआ।

सुंदरलाल शर्मा जी ने स्वदेशी के प्रचार प्रसार के लिए क्या किया?

अपनी जमीन जायदाद बेचकर राजिम, धमतरी और रायपुर में स्वदेशी वस्तुओं की कई दुकानें खोलीं।

जय छत्तीसगढ़ दाई के लेखक कौन है?

पंडित सुन्दरलाल शर्मा। (Pandit Sundarlal Sharma)

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