गुरू घासीदास जयंती 2023 विशेषांक : घासीदास जी के 42 अमृतवाणी

गुरू घासीदास

गुरू घासीदास जंयती 2023

गुरू घासीदास सतनाम धर्म के संथापक एवं महान व्‍यक्तित्‍व के थे, जिन्‍होने समाज में फैले अशांति को दूर करते हुए सामाजिक न्‍याय, समानता, सच्‍चाई और शांति की वकालत की और सामाजिक उत्‍पीड़न से उत्‍पीड़ित‍ नीचली जातियों की मदद करने का प्रयास किया। जिसके परिणामस्‍वरूप उन्‍होने उस दौर की क्रूर एवं दमनकारी भारतीय समाज में एक नयी जागृति पैदा की। गुरू घासीदास जी के अनुयायी उन्‍हे “अवतारी पुरूष” मानते थे।

यही कारण है कि छत्‍तीसगढ़ राज्‍य में गुरू घासीदास की जयंती व्‍यापक उत्‍सव के रूप में पूरे राज्‍य में बड़ी धूम-धाम श्रद्धा और उत्‍साह के साथ मनाई जाती है। गुरू घासीदास की जन्‍म भूमि और तपो भूमि गिरौदपुरी धामा तथा कर्मभूमि भंडारपूरी था। जहां उन्‍होने अपना उपदेश (संदेश) दिये थे। आज वे स्‍थान सतनामी समाज के धार्मिक और सांस्‍कृतिक तीर्थ स्‍थल के रूप में विख्‍यात हैं। इसलिएगुरु घासीदास बाबाकी जयंती पर हर साल 18 दिसंबर को एवं पूरे माह भर बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।

इस दिन सतनाम अपने घर के नजदीकी जैतखाम के पास जाकर पूजा करते हैं, सत्य और अहिंसा के आधार पर जो सतनामी पंथ में निहित है, और उसकी विशेषता है, भाईचारा और संगठन शक्ति। गुरू घासीदास जी सामाजिक तथा आध्यात्मिक जागरण की आधारशिला स्थापित करने में ये सफल हुए और छत्तीसगढ़ में इनके द्वारा प्रवर्तित सतनाम पंथ के आज भी लाखों अनुयायी हैं। गुरू घासीदास जी की जयंती पर उनके सिद्धांत और अमृतवाणी के बारे में जानेंगे।

गुरू घासीदास बाबा के 42 अमृतवाणी (उपदेश)

1- सत ह मनखे के गहना आय। (सत्य ही मानव का आभूषण है।)

2-जन्म से मनखे मनखे सब एक बरोबर होथे फेर कर्म के आधार म मनखे मनखे गुड अऊ गोबर होथे। 

3-सतनाम ल जानव, समझव, परखव तब मानव।

4-बइला-भईसा ल दोपहर म हल मत चलाव।

5-सतनाम ल अपन आचरण में उतारव।

6-अंधविश्वास, रूढ़िवाद, परंपरावाद ल झन मानव।

7-दाई-ददा अउ गुरू के सनमान करिहव।

8-हुना ल साहेब समान जानिहव।

9-इही जनम ल सुधारना साँचा ये। (पुनर्जन्म के गोठ झूठ आय।)

10-गियान के पंथ किरपान के धार ये।

11-दीन दुःखी के सेवा सबले बड़े धरम आय।

12-मरे के बाद पीतर मनई मोला बईहाय कस लागथे। पितर पूजा झन करिहौ, जीते-जियात दाई ददा के सेवा अऊ सनमान करव। 

13-जतेक हव सब मोर संत आव।

14-तरिया बनावव, कुआँ बनावव, दरिया बनावव फेर मंदिर बनई मोर मन नई आवय। ककरो मंदिर झन बनाहू।

15-रिस अउ भरम ल त्यागथे तेकरे बनथे।

16-दाई ह दाई आय, मुरही गाय के दुध झन निकालहव।

17-बारा महीना के खर्चा सकेल लुहु तबेच भले भक्ति करहु नई ते ऐखर कोनो जरूरत नई हे।

18-ये धरती तोर ये येकर सिंगार करव।

19-झगरा के जर नइ होवय ओखी के खोखी होथे।

20-नियाव ह सबो बर बरोबर होथे।

21-मोर संत मन मोला काकरो ल बड़े कइही त मोला सूजगा मे हुदेसे कस लागही।

22-भीख मांगना मरन समान ये न भीख मांगव न दव, जांगर टोर के कमाए ल सिखव।

23-सतनाम ह घट घट में समाय हे, सतनाम ले ही सृष्टि के रचना होए हावय।

24-मेहनत के रोटी ह सुख के आधार आय।

25-पानी पीहु जान के अउ गुरू बनावव छान के।

26 -मोर ह सब्बो संत के आय अउ तोर ह मोर बर कीरा ये। (चोरी अउ लालच झन करव।)

27-सतनाम ह जीवन के आधार आय।

28-खेती बर पानी अऊ संत के बानी ल जतन के राखिहव।

29-पशुबलि अंधविश्वास ये एला कभू झन करहु।

30-जान के मरइ ह तो मारब आएच आय फेर कोनो ल सपना म मरई ह घलो मारब आय।

31-अवैया ल रोकन नहीं अऊ जवैया ल टोकन झन।

32-चुगली अऊ निंदा ह घर ल बिगाडथे।

33-धन ल उड़ावव झन, बने काम में लगावव।

34-जीव ल मार के झन खाहु।

35-गाय भैंस ल नागर म झन जोतहु।

36-मन के स्वागत ह असली स्वागत आय।

37-जइसे खाहु अन्न वैसे बनही मन, जइसे पीहू पानी वइसे बोलहु बानी।

38-एक धुबा मारिच तुहु तोर बराबर आय।

39-काकरो बर काँटा झन बोहु।

40-बैरी संग घलो पिरीत रखहु।

41-अपन आप ल हीनहा अउ कमजोर झन मानहु, तहु मन काकरो ले कमती नई हावव।

42-मंदिरवा म का करे जईबो अपन घर के ही देव ल मनईबो।

गुरू घासीदास बाबा के 07 सिद्धांत

  • सतनाम पर अडिग विश्‍वास रखो।
  • मूर्ति पूजा मत करो
  • जाति-पांति के चक्‍कर में मत पड़ो।
  • जीव की हत्‍या मत करो।
  • नशा का सेवन मत करो।
  • पराई स्‍त्री को माता बहन मानो।
  • चोरी और जुआ से दूर रहो।

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