PANDIT RAVISHANKAR SHUKLA : पंंडित रविशंकर शुक्‍ल की जीवनी

PANDIT RAVISHANKAR SHUKLA : पण्डित रविशंकर शुक्‍ल की जीवनी

Pandit Ravishankar Shukla: पंंडित रविशंकर शुक्‍ल की जीवनी

पंडित रविशंकर शुक्‍ल (Pandit Ravishankar Shukla) एक भारतीय राजनेता और भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के सदस्‍य थे। उन्‍होने अपने कैरियर के दौरान मध्‍य प्रदेश के विकास और जन कल्‍याण के लिए कई महत्‍वपूर्ण कार्य किये एवं मध्‍यप्रदेश राज्‍य के प्रथम मुख्‍यमंत्री के रूप में कार्य किया उनकी प्रशा‍सनिक योग्‍यता के कारण उन्‍हें “पंडित” का उपनाम दिया गया उनके योगदान के लिए पंडित रविशंकर शुक्‍ल को सम्‍मानित किया गया है, एवं भारतीय राजनीति में एक महत्‍वपूर्ण नेता के रूप में याद किया जाता है।

पंडित रविशंकर शुक्‍ल का जन्‍म एवं प्रारंभिक जीवन Birth and early life of Pandit Ravi Shankar Shukla

पंडित रविशंकर शुक्ल का जन्म 2 अगस्त सन् 1877 को मध्‍यप्रदेश के सागर नामक शहर में एक साधारण परिवार में हुआ था। (Pandit Ravishankar Shukla) के पिताजी का नाम जगन्‍नाथ प्रसाद तथा माताजी का नाम तुलसी देवी था उनकी प्रारंभिक शिक्षा सागर में ही हुई उसके बाद उनके पिताजी जगन्‍नाथ प्रसाद अपने कारोबार के सिलसिले से छत्‍तीसगढ़ के राजनांदगांव आ गये और कुछ समय बाद रायपुर में आकर बस गये।

पंडित रविशंकर शुक्‍ल की शिक्षा Education of Pandit Ravi Shankar Shukla

पंडित रविशंकर शुक्ल (Pandit Ravishankar Shukla) की शिक्षा के बारे में बात करें तो उनकी प्राथमिक शिक्षा सागर स्थित “सुंन्‍दरलाल पाठशाला” में हुई उन्‍हे 4 साल के आयु में उन्‍हे दाखिला करवाया गया और उन्‍होने 8 वर्ष की आयु में प्राथमिक स्‍तर की शिक्षा पूरी की, उसके बाद माध्‍यमिक शिक्षा भी सागर से पूरी की एवं हाईस्‍कूल की परीक्षा उन्‍होने रायपुर से उर्त्‍तीण किया।

पंडित रविशंकर शुक्‍ल ने इंटर की परीक्षा जबलपुर के रॉबर्टसन कॉलेज Robertson College से उर्त्‍तीण की इस समय उनकी आयु 17 वर्ष थी। सन् 1899 में नागपुर के “हिस्लाेप काॅलेज” से स्‍नातक की पढ़ाई पूरी की और नागपुर से ही उन्‍होने एल.एल.बी. की पढ़ाई भी पूरी की और रायपुर में वकालत शुरू की।

पंडित रविशंकर शुक्‍ल ने राष्‍ट्रीय आंदोलन में भाग लिया

पंडित रविशंकर शुुुक्‍ल (Pandit Ravishankar Shukla) बहुत ही प्रसिद्ध नेेेता व स्‍वतंत्रता सेनानी थे, उन्‍हाेेेने भारत के आजादी के आंदोलनों में बढ़ चढ़कर हिस्‍सा लिया नागपुर में पढ़ाई के दौरान शुक्‍ल जी का राष्‍ट्रीय आंदोलन से लगाव हो गया। वह 1898 में आयोजित 13 वें कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के लिए अपने शिक्षक के साथ अमरावती गये। उन्‍होने प्रयाग कांग्रेस अधिवेशन 1910 में भाग लिया।

जलियांंवाला बाग हत्‍याकांड 1919 से आहत होकर उन्‍होने अपना संंम्‍पूर्ण समय देश को आजाद कराने के लिए लगाने का संकल्‍प किया। विदेशी वस्‍तुओं का बहिस्‍कार कर स्‍वेदशी के प्रचार हेतु उन्‍होने खादी वस्‍त्र धारण करना आरंभ किया अंग्रेजी शिक्षा का बहिस्‍कार एवं राष्‍ट्रीय शिक्षा के प्रचार के लिए उन्‍होने जनवरी 1921 में रायपुर में राष्‍ट्रीय विद्यालय की स्‍थापना करवायी।

पंडित रविशंकर शुक्‍ल की कैरियर के बारे में

पंडित रविशंकर शुुुक्‍ल नागपुर में LLB की पढ़ाई पूरी करने के बाद सरायपाली चले गये। और सूखा राहत कार्य का निरीक्षण करने लगे उनकी ईमानदारी और कर्तव्‍यनिष्‍ठा के लिए शुक्‍ल जी को पदोन्‍नत कर नायब तहसीलदार बना दिया गया। 1901 में उन्‍होने सर‍कारी नौकरी छोड़कर जबलपुर के “हितकारिणी स्‍कूल” में अध्‍यापन का कार्य शुरू किया 1902 में पंडित रविशंकर शुक्‍ल का विवाह भवानी देवी से हुआ। विवाह के बाद वे खैरागढ़ आ गये और उनकी नियुक्ति एक हाईस्‍कूल में प्राचार्य के पद पर हो गई।

सन् 1907 में पंडित रविशंकर शुक्‍ल (Pandit Ravishankar Shukla) ने राजनांदगांव से वकालत की शुरूआत की, और कुछ समय बाद वे रायपुर आकर वकालत करने लगे। 1912 में रविशंकर शुक्‍ल के प्रयासों से कन्‍या कुब्‍ज महासभा की स्‍थापना हुई। उन्‍होने रायपुर के कन्‍या कुब्‍ज छात्रवास की स्‍थापना की। तथा कन्‍या कुब्‍ज मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया।

पंडित रविशंकर शुक्‍ल का राजनैतिक जीवन Political life of Pandit Ravi Shankar Shukla

पंडित रविशंकर शुक्‍ल सन् 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस जनरल कमेटी के सदस्‍य चुनेे गये। उन्‍हे रायपुर जिला परिषद् के सदस्‍य के रूप में 1921 में ही चुना गया। 1922 में रायपुर जिला परिषद केे एक सम्मेलन में उन्होंने कुछ ब्रिटिश अधिकारियों को प्रवेश देने से मना कर दिया जिसके चलते उन्‍हे गिरफ्तार कर लिया गया। पंडित रविशंकर शुक्‍ल ने सभी स्कूलों में वन्दे मातरम् का गायन और राष्ट्रीय झण्डे को फहराना अनिवार्य कर दिया।

पंडित रविशंकर शुक्‍ल (Pandit Ravishankar Shukla) सन् 1924 में पहली बार प्रांतीय विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए वे 1927 से 1936 ई. तक रायपुर जिला परिषद के अध्यक्ष के पद पर रहे। गांधी जी के नमक सत्‍याग्रह तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन का रायपुर में नेेेेेतृत्‍व किया जिसके लिए उन्‍हे जेल भी जाना पड़ा। सन् 1933 में गांधी जी छत्‍तीसगढ़ प्रवास के दौरान रविशंकर शुक्‍ल जी के बुढ़ापारा स्थित निवास में ठहरे थे।

पंडित रविशंकर शुक्‍ल ने बुनियादी शिक्षा सिद्धांत के अनुरूप विद्यामंदिर योजना शुरू की तथा पहली विद्यामंदिर का शिलान्‍यास गांधीजी के द्वारा किया गया। राजनीतिक चेतना और सामाजिक जागरूकता जगाने के लिए उनके द्वारा 1935 में महाकौशल साप्ताहिक पत्रिका की शुरूआत की तथा सन् 1935-36 में उन्‍होने महाकौशल साप्ताहिक पत्रिका शुरू किया। सन् 1936 में डॉ. खरे के मंत्रिमंडल में रविशंकर शुक्ल जी शिक्षा मंत्री बने।

सन् 1939 में मंत्रीमण्‍डल ने त्‍याग पत्र दे दिया, वे संविधान सभा के सदस्‍य भी थे। सन् 1940 में गांधीजी के व्‍यक्तिगत सत्‍याग्रह में भाग लेते हुए वेे पुन: गिरफ्तार कर लिये गये। और उन्‍हे छत्‍तीसगढ़ के प्रथम व्‍यक्तिगत सत्‍याग्राही होने का गौरव प्राप्‍त हुआ। 1942 में गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा होने पर उन्‍होने इस आंदोलन में भाग लिया किंतु उन्‍हे मलकापुर रेेेेलवे स्‍टेशन में गिरफ्तार कर लिया गया।

पंडित रविशंकर शुक्‍ल मध्‍यप्रदेश के प्रथम मुख्‍यमंंत्री के रूप में

15 अगस्‍त सन् 1947 में उन्‍होने सीताबर्दी किलेे (नागपुर) में झंडा फहराया। 1946-47 के विधानसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश में कांग्रेस को भारी बहुमत मिला और पंडित रविशंकर शुक्ल सीपी, बरार (मध्‍यप्रदेश व आस-पास) क्षेत्र के मुख्यमंत्री बने। सन् 1952 में उन्‍हे फिर से राज्‍य का मुख्‍यमंत्री चुना गया। 1 नवम्बर 1956 को जब मध्य प्रदेश का पुर्नगठन हुआ तो पंडित रविशंकर शुक्ल सर्वसम्‍मति से नए राज्य के मुख्यमंत्री बनाये गये और 31 दिसबंर 1956 तक मुख्‍यमंत्री के पद पर रहे। इस तरह से उन्‍हे मध्‍यप्रदेश का प्रथम मुख्‍यमंत्री बनने का गौरव प्राप्‍त हुआ।

पंडित रविशंकर शुक्‍ल की मृत्‍यु Death of Pandit Ravi Shankar Shukla

मध्‍य प्रदेश के गठन के दो महीने बाद उनके मुख्‍यमंत्री के पद पर रहते हुए कार्यकाल के दौरान ही 1 दिसंबर 1956 को 80 वर्ष की आयु में नई दिल्ली में पंडित रविशंकर शुक्ल (Pandit Ravishankar Shukla) निधन हो गया।

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सम्‍मान

पंडित रविशंकर शुुक्‍ल (Pandit Ravishankar Shukla) बहुत ही प्रसिद्ध भारतीय नेता व स्‍वतंत्रता सेनानी थे। उन्‍होने भारत की आजादी की आंदोलन एवं लड़ाई में बढ़ चढ़कर योगदान दिया। उनके इस योगदान को याद करते हुए भारत सरकार व राज्‍य सरकार ने उनके सम्‍मान में पुरस्‍कार व उनकी मूर्ति स्‍थापित किया है। आईये उनके सम्‍मान के बारे में जानते है……।

  • 1995-1996 से विधान सभा सचिवालय ने (Pandit Ravishankar Shukla) के सम्मान में उत्कृष्ट मंत्री पुरस्कार की स्थापना की है।
  • दिल्ली में संसद भवन परिसर में पंडित रविशंकर शुक्ल (Pandit Ravishankar Shukla) की प्रतिमा स्‍थापित है।
  • पंडित रविशंकर शुक्‍ल सम्‍मान– छत्‍तीसगढ़ शासन ने उनकी स्‍मृति में सामाजिक आर्थिक तथा शैक्षिक क्षेत्र में अभिनव प्रयत्‍नों के लिए पंडित रविशंकर शुक्‍ल (Pandit Ravishankar Shukla) सम्‍मान स्‍थापित किया है, जो कि सन् 2001 में प्रारंभ किया गया और सामान्‍य प्रशासन विभाग द्वारा प्रदान किया जाता है। पंडित रविशंकर शुक्‍ल सम्‍मान के प्रथम प्राप्‍तकर्ता “केयूर भूषण” है। जिन्‍हे 2001 में यह सम्‍मान प्रदान किया गया था।
  • पंडित रविशंकर शुक्‍ल विश्‍वविद्यालय- छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पंडित रविशंकर शुक्ल (Pandit Ravishankar Shukla) के नाम पर एक विश्वविद्यालय है। जिसकी स्‍थापना 1964 में उच्‍च शिक्षा विभाग द्वारा किया गया है।

प्रशनोत्‍तरी:-

1 पंडित रविशंकर शुक्‍ल का जन्‍म कब हुआ था?

2 अगस्‍त 1877 को ।

2 पंडित रविशंकर शुक्‍ल का जन्‍म कहां हुआ था?

मध्‍यप्रदेश के सागर नामक शहर में।

3 मध्‍यप्रदेश के प्रथम मुख्‍यमंत्री कौन थे?

पंडित रविशंकर शुक्‍ल।

4 पंडित रविशंकर शुक्‍ल के पिता का क्‍या नाम था?

जगन्‍नाथ प्रसाद।

5 पंडित रविशंकर शुक्‍ल के माता का क्‍या नाम था?

तुलसी देवी।

6 पंडित रविशंकर शुक्‍ल के पत्नि का क्‍या नाम था?

भवानी देवी।

7 पंडित रविशंकर शुक्‍ल सम्‍मान कब प्रारंभ किया गया?

सन् 2001 मे।

8 पंडित रविशंकर शुक्‍ल सम्‍मान के प्रथम प्राप्‍तकर्ता कौन है?

केयूूर भूषण 2001।

9 पंडित रविशंकर शुक्‍ल विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना कब हुई थी?

सन् 1964 में।

10 पंडित रविशंकर शुक्‍ल की मृत्‍यु कब हुई?

1 दिसबंर 1956 को 28 वर्ष की आयु में।